नईदुनिया प्रतिनिधि, बिलासपुर। सुदूर आदिवासी क्षेत्र की 25 वर्षीय बैगा महिला गले की लगातार बढ़ती सूजन से परेशान थी। स्थानीय डॉक्टर ने हालात की गंभीरता को भांपते हुए उसे तुरंत सिम्स रेफर किया। समय पर इलाज ने महिला की जान बचा ली। सिम्स उसके लिए जीवनदायिनी साबित हुआ। महिला को यह सूजन एक साल पहले हुई। इसके बाद यह धीरे-धीरे बढ़ गई थी। नींबू के आकार का यह सूजन वर्तमान स्थिति में कान के निचले भाग से लेकर कंधे तक फैल गया था।
हाल के महीनों में इसमें से रुक-रुक कर रक्तस्राव भी होने लगा था। सिम्स की जांच के बाद गले का एमआरआई और सीटी स्कैन कराया गया और एफएनएसी (फाइन नीडल एस्पिरेशन साइटोलाजी) की गई। इसमें एक अत्यंत दुर्लभ प्रकार का कैंसर हर्थल सेल कार्सिनोमा की पुष्टि हुई, जो प्रारंभ में थायरायड ग्रंथि से उत्पन्न हुआ था। यह कैंसर शरीर के किसी अन्य भाग में तो नहीं फैला है यह देखने के लिए छाती, पेट तथा मस्तिष्क का सीटी स्कैन कराया गया और उसके बाद एफएनएसी रिपोर्ट के आधार पर तत्काल सर्जरी की योजना बनाई गई।
यह ऑपरेशन ईएनटी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डा़ आरती पांडेय के नेतृत्व में किया गया। इसमें ऐसोसिएट प्रोफेसर डा़ वीबी साहू, डा़ श्वेता मित्तल, डा़ ज्योति वर्मा और पीजी स्टूडेंट्स शामिल रहे। एनेस्थीसिया विभाग की टीम का नेतृत्व विभागाध्यक्ष डा़ मधुमिता मूर्ति ने किया। सर्जरी के दौरान एनेस्थीसिया की जिम्मेदारी डा़ श्वेता कुजूर ने निभाई। लगभग पांच घंटे तक चले जटिल आपरेशन के दौरान यह तथ्य सामने आया कि ट्यूमर थायरायड नहीं, बल्कि पैरोटिड ग्रंथि (लार ग्रंथि) से उत्पन्न हुआ था। पूरी टीम ने मिलकर पैरोटिड ग्रन्थि को हटाया तथा नेक डिसेक्शन कर इसे सावधानीपूर्वक सफलतापूर्वक पूरा किया।
सिम्स में लगातार जटिल सर्जरी हो रही है। इसमें 90 प्रतिशत से अधिक मरीज ऐसे हैं जो आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हैं। जिनकी बीमारियों का इलाज निजी अस्पतालों में होना बेहद ही मुश्किल है। लेकिन सिम्स में इस तरह का इलाज आयुष्मान भारत के माध्यम से पूरी तरह से निश्शुल्क किया जा रहा है, जो गरीब मरीजों के लिए बड़ी चिकित्सकीय राहत बन रही है।
सिम्स के चिकित्सक अब संभाग व प्रदेश में अपनी श्रेष्ठता साबित कर रहे हैं। लगातार बीच-बीच में जटिल सर्जरी कर मरीजों को राहत दी जा रही है। खासतौर से सर्जरी, डेंटल, ईएनटी, आर्थोपेडिक डिपार्टमेंट के नए डाक्टरों की चिकित्सकीय सेवा स्तरीय है। इस वजह से सिम्स के प्रति फिर से लोगों में विश्वास बढ़ता जा रहा है। सिम्स के अधिष्ठाता डा़ रमणेश मूर्ति और चिकित्सा अधीक्षक डा़ लखन सिंह ने आपरेशन करने वाले चिकित्सकों का हौसला बढ़ाया है।