पहिया जाम से सड़क हादसा, हाई कोर्ट ने कहा- मृतक के परिजनों को मिलेगा मुआवजा
सड़क दुर्घटना में हुई मौत के मामले में बीमा कंपनी द्वारा मुआवजा(Insurance Claim Dispute) देने से इंकार करने को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि बीमा प्रीमियम की राशि पहले ही जमा की जा चुकी थी।
Publish Date: Fri, 25 Jul 2025 01:52:30 PM (IST)
Updated Date: Fri, 25 Jul 2025 01:52:30 PM (IST)
सड़क दुर्घटना में हुई मौत को लेकर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला(फाइल फोटो)HighLights
- सड़क दुर्घटना में हुई मौत को लेकर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला।
- कोर्ट ने कंपनी से मृतक के परिजनों को बीमा राशि भुगतान करने को कहा।
- बीमा कंपनी आईसीआईसीआई लोम्बार्ड की अपील खारिज कर दी गई।
नईदुनिया प्रतिनिधि, बिलासपुर : सड़क दुर्घटना में हुई मौत के मामले में बीमा कंपनी द्वारा मुआवजा( Road Accident Compensation) देने से इंकार करने को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि बीमा प्रीमियम की राशि पहले ही जमा की जा चुकी थी, ऐसे में बीमा पॉलिसी वैध मानी जाएगी और मृतक के स्वजन मुआवजे के हकदार हैं। यह फैसला छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस प्रार्थ प्रतीम साहू की एकलपीठ ने सुनाया। उन्होंने मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण (एमएसीटी) द्वारा दिए गए 4.17 लाख रुपये मुआवजा भुगतान के आदेश को बरकरार रखते हुए बीमा कंपनी आईसीआईसीआई लोम्बार्ड(ICICI Lombard Case) की अपील खारिज कर दी।
स्वजन ने मांगा था 35.55 लाख का मुआवजा
मृतक देवचंद की पत्नी, बच्चों और अन्य स्वजनों ने मोटर वाहन अधिनियम की धारा 163-ए के तहत मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण सूरजपुर में बीमा कंपनी के खिलाफ 35.55 लाख रुपये मुआवजे की मांग करते हुए दावा दाखिल किया था। अधिकरण ने साक्ष्यों के आधार पर बीमा कंपनी को 4,17,500 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया।
यह था मामला
सूरजपुर निवासी देवचंद जायसवाल ने 25 अक्टूबर 2017 को एक नई मोटरसाइकिल खरीदी थी। उसी दिन वे अपने गांव महुली से ओड़गी जनपद पंचायत की बैठक में शामिल होने निकले थे। दोपहर लगभग 12:30 बजे बाइक का अचानक पहिया जाम हो गया, जिससे वाहन असंतुलित होकर पेड़ से जा टकराया। हादसे में देवचंद को गंभीर सिर और छाती की चोटें आईं और इलाज के लिए अस्पताल ले जाते समय उनकी मौत हो गई।
बीमा कंपनी ने हाई कोर्ट में दी यह दलील
बीमा कंपनी आईसीआईसीआई लोम्बार्ड ने इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी। कंपनी ने कहा कि दुर्घटना जिस दिन हुई, उसी दिन शाम 4:52 बजे बीमा पॉलिसी जारी की गई, जबकि हादसा दोपहर 12:30 बजे हो चुका था। अतः उस समय कोई बीमा प्रभावी नहीं था और कंपनी पर मुआवजा देने की जिम्मेदारी नहीं बनती।
कोर्ट का निर्णय
हाई कोर्ट ने रिकॉर्ड की समीक्षा करते हुए पाया कि वाहन की खरीदी के साथ ही बीमा प्रीमियम की राशि सुबह 11:31 बजे आनंद ऑटोमोबाइल्स के जरिए जमा कर दी गई थी, जो बीमा कंपनी का अधिकृत एजेंट है। कोर्ट ने कहा कि बीमा अधिनियम की धारा 64वीबी के अनुसार, प्रीमियम की राशि प्राप्त होते ही बीमा प्रभावी माना जाता है, चाहे पॉलिसी की आधिकारिक एंट्री बाद में की गई हो। इस आधार पर कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बीमा पॉलिसी दुर्घटना के समय प्रभावी थी और मृतक के स्वजन मुआवजा पाने के हकदार हैं। न्यायालय ने बीमा कंपनी की अपील को निराधार मानते हुए खारिज कर दिया।