बिलासपुर। Bilaspur Education News: पृथ्वी दिवस पर गुरुवार को डा. सीवी रामन विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान, भूगोल विभाग एवं बिलासा शासकीय गर्ल्स महाविद्यालय के भूगोल विभाग की ओर से एक दिवसीय आनलाइन वेबिनार का आयोजन किया गया। इसका विषय भारतीय चिंतन में सतत विकास की अवधारणा और कोविड -19 रहा।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित बलिया उत्तर प्रदेश के शासकीय महाविद्यालय से सेवानिवृत्त प्राचार्य गणेश कुमार पाठक ने कहा कि किस प्रकार मानव अपने विकास के लिए पर्यावरण का दुरुपयोग कर रहा है। वर्तमान में इस विकट समस्या में भागीदार मानवीय क्रियाकलाप ही है। इसलिए भावी पीढ़ी को पर्यावरण संरक्षित और संबंधित करने तैयार करना होगा।
प्रोफेसर पाठक ने भारतीय मान्यताओं और सांस्कृतिक विशेषताओं के विज्ञानी महत्व को भी समझाया। वहीं बिलासा महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर एसएल निराला ने मानवीय गतिविधियों और पर्यावरणीय प्रभाव के बीच अंतर संबंधों को स्पष्ट किया। उन्होंने विभिन्ना उदाहरणों द्वारा यह बताया कि मानव की वर्तमान क्रियाकलाप से ही उसकेे भविष्य का निर्धारण होता है।
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संकाय के प्राचार्य प्रोफेसर मनीष उपाध्याय द्वारा पर्यावरणीय प्रदूषण और मानवीय स्वास्थ्य के बारे में विस्तृत व्याख्या की गई। उन्होंने बताया कि मनुष्य को किस प्रकार प्रकृति के साथ समायोजन बनाकर जीवन जीना चाहिए। तभी हमारे जीवन शैली एक आदर्श जीवन शैली के रूप में होगी।
कार्यक्रम के प्रारंभ में सेमिनार की संयोजिका विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर काजल मोइत्रा ने इसकी रूपरेखा पर प्रकाश डाला और मानव पर्यावरण के बदलते अंतरसंबंधों से अवगत कराया। कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर डा. कावेरी दाभड़कर द्वारा किया गया । इस आयोजन में छत्तीसगढ़ के अलावा अन्य प्रदेशों से प्राध्यापक एंव विधार्थी सम्मिलित हुए। कार्यक्रम के अंत में संयोजक प्रोफेसर डीडी कश्यप द्वारा आभार व्यक्त किया गया।
पर्यावरण संतुलन के साथ ही जीवन संभव
कार्यक्रम में शामिल विश्वविद्यालय के कुलसचिव गौरव शुक्ला ने कहा कि कोविड-19 के कारण मनुष्य की जीवन शैली में महत्वपूर्ण परिवर्तन आया है। उन्होंने यह भी कहा कि एक अच्छे जीवन का निर्वाह पर्यावरण के साथ संतुलन के द्वारा ही संभव है। हमें प्रकृति के अनुसार ही अपने जीवन शैली को ढालना होगा, नहीं तो ऐसी घातक बीमारियां मनुष्य के सामने काल के रूप में सामने होगी।