बिलासपुर। समर्थन मूल्य पर खरीफ फसल का धान बेचने टोकन कटवाने के लिए अब किसानों को लाइन लगाने, उपार्जन केंद्रों का चक्कर लगाने की समस्या दूर हो गई। टोकन के लिए किसानों को होने वाली समस्या से छुटकारा दिलाने शासन ने टोकन तुंहर हाथ ऐप लांच कर दिया है।
ऐप में कई सुविधाएं हैं। इसके माध्यम से घर बैठे किसानों को शर्तों के आधार पर मनचाहे तिथि को धान बेचने टोकन काटने की सुविधा दी है। जिससे किसानों को धान बेचने बड़ी राहत मिलेगी, लेकिन किसानों को सीजन में केवल तीन टोकन में ही पूरे धान को बेचना होगा। अगर किसी कारण से किसानों का कोई सा एक टोकन निरस्त हो जाता है, तो उन्हें धान बेचने केवल दो टोकन ही मिलेगा। टोकन तुंहार हाथ मोबाइल ऐप लांच करने से किसानों का समय व पैसा कर बचत होगी और उन्हें टोकन के लिए मारामारी की नौबत नहीं आएगी। वे अपने सुविधानुसार निर्धारित तिथि का टोकन काटकर धान बेच सकेंगे।
हालांकि यह सुविधा एंड्राइड मोबाइल धारक किसानों के लिए ही है और वे किसान ही इस सुविधा का लाभ ले सकेंगे। आज हर तीसरे किसानों के हाथ में एंड्रॉयड मोबाइल देखा जा सकता है और वे सरकार द्वारा दिए जा रहे सुविधा का लाभ उठा सकेंगे। सरकार द्वारा टोकन जारी करने की प्रक्रिया को सरल करने से धान बेचने में किसानों को बड़ी सुविधा होगी। इस सुविधा का लाभ वे किसान ज्यादा उठा पाएंगे जो अधिया, रैगहा व गांव से बाहर रहकर खेती-किसानी का कार्य देखते हैं।
पूर्व में सभी कार्य छोड़कर वे टोकन कटवाने उपार्जन केंद्र पहुंचते थे और लंबी लाइनों में खड़े होकर टोकन कटवाने का इंतजार करते थे। कई बार धान कटाई में व्यस्तता के कारण भी किसान समय निकालकर टोकन कटवाने के लिए खरीदी केंद्र पहुंचने से कई कार्य बाधित होता था और उन्हें समस्या होती थी। लेकिन, अब ऐप के माध्यम से सुविधा दी गई है।
वरदान साबित होगा एप
छत्तीसगढ़ खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के द्वारा जारी किए गए टोकन तुंहर हाथ ऐप इन किसानों के लिए वरदान साबित होगा। इस ऐप में और कई सारी सुविधाएं दी गई हैं। किसान भूमि संबंधी, टोकन संबंधी, बैंक खाता, पंजीकृत रकबे, धान खरीदी, टोकन कटवाने दिए गए 12 निर्देश दिए हैं।
स्वेच्छा से धान बेचने वाले किसान टोकन काटने सूची देते हैं उपार्जन केंद्र को
जिले में पहले से ही किसान अपने सुविधानुसार सप्ताह में एक दिन, धान बेचने वाले गांव के पंजीकृत किसानों का नाम तय कर धान बेचते आ रहे हैं। आज भी गांव में एकजुटता कायम है और यह एकजुटता धान खरीदी में देखने को मिलती है। किसानों द्वारा बेचने वाले सभी किसानों का नाम तय कर सोसाइट्यिों में जमा करने व एक साथ सभी का टोकन कटवाने से टोकन काटने वाले व लेने वालों को टोकन के लिए किसी तरह की आपाधापी की स्थिति नहीं होती, ना ही किसी तरह का टोकन को लेकर किसानों में विरोध देखने को मिलता है, क्योंकि सभी किसान स्वेच्छा से ही धान बेचने वाले किसानों का नाम उपार्जन केंद्र को सौपते हैं।