बिलासपुर। Bilaspur Forest News: सघन वन क्षेत्र में तेजी के साथ प्रदूषित हो रहे पर्यावरण को लेकर वानिकी विज्ञानियों की चिंता कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है। केंद्र सरकार के निर्देश पर भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद देहरादून के विशेषज्ञों द्वारा वन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों के अलावा वन प्रबंधन समिति व वनों में रहने वाले वनवासियों को प्रशिक्षित कर रहे हैं। विशेषज्ञों की टीम देशभर में इस तरह का प्रशिक्षण दे रहे हैं व कार्बन मापन की विधि भी बता रहे हैं। इसे वन कार्बन स्टाक मापन प्रशिक्षण का नाम दिया गया है। अचानकमार टाइगर रिजर्व क्षेत्र पर भी उनका जोर है।
भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद देहरादून के प्रशिक्षक डॉ. मोहम्मद शाहिद परामर्शदाता द्वारा परितंत्र सेवाएं सुधार परियोजना की अगुवाई में विशेषज्ञों की टीम द्वारा जंगल में मौजूद वन कार्बन की जानकारी दी जा रही है। यही वन कार्बन कार्बन डाइआक्साइड को सोखते हैं और पर्यावरण को हानिकारक गैसों से बचाते हैं। वन कार्बन पांच पूल में रहती है। किशोर पेड़, झाड़ियां, पौधे, करकट, मृत काष्ठ एवं मिट्टी।
प्रशिक्षण के दौरान जंगल में सैंपल प्लाट डालना, मिट्टी व पौधों के नमूने लेना, मृत काष्ठ नापना ओर पेड़ की गोलाई नापना के बारे में विस्तार से जानकारी दी जा रही है। तीन दिवसीय प्रशिक्षण का आज पहला दिन है। इस दौरान छत्तीसगढ़ के जंगलों में मौजूद कार्बन व कार्बन स्टाक को लेकर विशेषज्ञों ने विस्तार से चर्चा की। प्रशिक्षण का मूल उद्देश्य वन विभाग के वनरक्षक से लेकर वनमंडलाधिकारी को वन कार्बन स्टाक मापने के लिए मास्टर ट्रेनर बनाया जाना है। जो कि जंगल-जलवायु परिवर्तन को रोकने कि लिए बहुत उपयोगी है।