बिलासपुर: रजिस्ट्री के दस्तावेज में दर्ज रकम भूमि स्वामी को नहीं मिलती है तो खरीदी बिक्री शून्य हो जाएगी
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच का महत्वपूर्ण फैसला,बेंच ने अपील को कर दिया है खारिज
By Yogeshwar Sharma
Edited By: Yogeshwar Sharma
Publish Date: Tue, 02 Aug 2022 12:21:43 PM (IST)
Updated Date: Tue, 02 Aug 2022 12:21:43 PM (IST)

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि जमीन खरीदी बिक्री के दौरान रजिस्ट्री के दस्तावेज में दर्ज रकम भूमि स्वामी को नहीं मिलती है तो खरीदी-बिक्री को शून्य माना जाएगा। डिवीजन बेंच ने अपील को खारिज करते हुए पूर्व में की गई खरीदी बिक्री को शून्य घोषित कर दिया है। कोर्ट के इस आदेश के बाद माना जा रहा है कि एग्रीमेंट के जरिए जमीन का सौदेबाजी करने वाले जमीन दलाल और माफिया पर प्रभावी ढंग से अंकुश लगेगा।
निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के जस्टिस गौतम भादुड़ी व जस्टिस रजनी दुबे के डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। प्रकरण की सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने निचली अदालत के फैसले को यथावत रखते हुए अपील को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में महत्वपूर्ण टिप्पणी भी की है। कोर्ट ने कहा है कि खरीदी बिक्री के बाद पंजीयन कार्यालय में रजिस्ट्री के तैयार होने वाले दस्तावेज में अगर लिखी गई रकम भूमि स्वामी को नहीं मिलती है तो ऐसे बिक्री विलेख को शून्य माना जाएगा। इसके साथ ही कोर्ट ने बिक्री विलेख को शून्य घोषित कर दिया है।
द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश बस्तर ने नौ सितंबर 2015 को इस संबंध में आदेश पारित किया था। इसे मोहम्मद अल्ताफ मेमन ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर कर अपील की थी। याचिका के अनुसार पिपलावंद में फनिंद्र भारत की आठ हेक्टर 60 डिसमील जमीन थी। इसका सौदा 19 लाख 72 हजार स्र्पये में तय किया गया था। सौदा के बाद 25 फरवरी 2012 को जमीन की रजिस्ट्री की गई। इसमें चेक के जरिए चार लाख 89 हजार स्र्पये और 11 हजार स्र्पये कैश भुगतान किया गया। सौदे के अनुसार शेष बच रहे 14 लाख 72 हजार स्र्पये का चेक दिया गया। इसके बाद जमीन की रजिस्ट्री पंजीयक कार्यालय में हो गई।
भूमि स्वामी को दिया धोखा,चेक हुआ बाउंस
जमीन खरीदने वाले भूमि स्वामी को रजिस्ट्री से पहले 14 लाख 72 हजार स्र्पये का चेक जारी किया था। रजिस्ट्री के बाद जब भूमि स्वामी ने भुगतान के लिए संबंधित बैंक में चेक लगाया तो खातेधारक के एकाउंट में राशि नहीं थी। लिहाजा चेक बाउंस हो गया। भूमि स्वामी के साथ एक और चालाकी की गई। चेक जारी करने वाले चेक से भुगतान को रोकने बैंक में अर्जी लगा दी।
निचली अदालत का खटखटाया दरवाजा
चेक बाउंस होने और चेक से भुगतान रोकने संबंधी बैंक की अर्जी के बाद भूमि स्वामी ने निचली अदालत का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने मामला दायर कर बताया कि रजिस्ट्री से पहले चेक जारी किया गया था। वह बाउंस हो गया। उसने भरोसा किया और जमीन खरीदने वाले ने उसके साथ धोखा किया। उसकी मंशा प्रारंभ से ही धोखा देने की थी। भूमि स्वामी ने रजिस्ट्री को शून्य घोषित करने की गुहार लगाई थी। याचिकाकर्ता ने बताया कि जमीन पर दूसरे लोगों का कब्जा था इसलिए चेक से भुगतान रोकने की बैंक में आवेदन लगाना पड़ा था। मामले की सुनवाई के बाद निचली अदालत ने रजिस्ट्री को शून्य घोषित कर जमीन का कब्जा भूमि स्वामी को दिलाने का निर्देश जारी किया था।