बिलासपुर। Bilaspur News: चकरभाठा एयरपोर्ट अब थ्री सी कैटेगरी के लिए तैयार हो गया है। ओएलएस सर्वे टीम की सहमति के बाद एयरपोर्ट अथारिटी आफ इंडिया द्वारा लाइसेंस जारी किया जाएगा। मामले में आगे की कार्रवाई को लेकर 19 नवंबर को केंद्र व राज्य शासन द्वारा हाई कोर्ट में जवाब पेश किया जाएगा।
बिलासपुर में हवाई सेवा शुरू करने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई लंबित है। लेकिन, एयरपोर्ट में हवाई सेवा शुरू को लेकर प्रशासन शुरू से ही उदासीन रहा है। प्रकरण में सिविल एविएशन व सैन्य मुख्यालय से भी जवाब मांगा गया था। वर्ष 2017 में शासन की तरफ से जवाब में बताया गया था कि बिलासपुर को हवाई सेवा से जोड़ने के लिए काम चल रहा है। प्रक्रिया में प्रशासन की लेटलतीफी को लेकर हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई थी। कोर्ट की सख्ती के बाद केंद्र और राज्य शासन के अफसर हरकत में आए। इस बीच अफसरों ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि 15 अगस्त तक एयरपोर्ट चालू हो जाएगा। इसके बाद भी प्रशासन का रवैया ढीला रहा।
हालांकि, राज्य शासन ने एयरपोर्ट में टर्मिनल व रनवे को बढ़ाने का काम किया। तब टू सी लाइसेंस जारी हुआ। लेकिन, हवाई सेवा शुरू नहीं हो पाई। दरअसल इस बीच सेना को दी गई जमीन वापस लेने के बाद ही फोर सी कैटेगरी का लाइसेंस मिलने की बात सामने आई। तब कलेक्टर सारांश मित्तर ने सेना को दी गई 78.22 एकड़ जमीन वापस लेने की प्रक्रिया शुरू की। फिर एयरपोर्ट को थ्री सी कैटेगरी के लिए उन्न्नयन करने का काम शुरू हुआ। इसके लिए केंद्र व राज्य शासन से फंड जारी किया गया। रनवे के दोनों ओर ग्रेंडिंग के बचे कार्य सहित फेंसिंग का काम किया गया। एयरपोर्ट को अब थ्री सी कैटेगरी के लिए तैयार कर लिया गया है। इसके लिए शीघ्र ही लाइसेंस जारी होने की उम्मीद है। इसके साथ ही कोर्ट ने फोर सी कैटेगरी के संबंध में केंद्र व राज्य शासन से स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। हालांकि केंद्र व राज्य शासन ने इसके लिए भी प्रक्रिया पूरी करने का भरोसा दिलाया है। इस मामले की सुनवाई 19 नवंबर को होगी।
दो सौ एकड़ जमीन की जरूरत
पिछली सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट प्रैक्टिसिंग बार एसोसिएशन के अध्यक्ष संदीप दुबे की तरफ से वकील सुदीप श्रीवास्तव ने आवेदन प्रस्तुत किया। इसमें बताया कि नियम व शर्तों के अनुसार सरकार सेना से जमीन लेगी तो सालभर से अधिक समय लगेगा। ऐसे में सेना को जमीन देते समय एक शर्त यह भी थी कि अगर सेना 10 साल तक जमीन का कोई उपयोग नहीं कर पाती है तो सरकार जमीन वापस ले सकती है। शासन चाहे तो सेना को दी गई 11 सौ एकड़ जमीन में से सिर्फ दो सौ एकड़ जमीन वापस ले सकती है। सुनवाई के दौरान यह बात भी सामने आई थी कि राज्य शासन ने आपरेशन एरो स्टैंडर्ड के डायरेक्टर को पत्र लिखकर एयरपोर्ट को फोर-सी में परिवर्तित करने की अनुमति मांगी है। लेकिन, इसके लिए जरूरी दस्तावेजों के साथ ही जमीन के साथ ही बहुत सारे निर्माण कार्य की जरूरत होगी।