बिलासपुर। नईदुनिया प्रतिनिधि
हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि छत्तीसगढ़ भू राजस्व संहिता की धारा 170 के तहत बदलाव की कार्रवाई के पूर्व समस्त अभिलेखों खासकर पुराने राजस्व अभिलेख के अवलोकन के बाद ही की जानी चाहिए। लिहाजा पूरी ईमानदारी बरतनी चाहिए।
ग्राम रांक निवासी ईश्वर प्रसाद ने वकील सुशोभित सिंह के जरिए हाई कोर्ट में याचिका दायर कर गैर आदिवासी की जमीन को तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी द्वारा विवादित बनाते हुए आदिवासी के नाम पर प्रत्यावर्तन कर दिया है। ऐसा कर उसकी जमीन को विवादित बना दिया है। याचिका के अनुसार वर्ष 1954-55 से लेकर चार मार्च 1998 के पूर्व तक यह जमीन उसके पिता के नाम पर राजस्व दस्तावेजों में दर्ज थी। चार मार्च 1998 को तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी ने एक आदेश पारित कर छत्तीसगढ़ भू राजस्व संहिता की धारा 170 ख का प्रयोग करते हुए उक्त जमीन आदिवासी की बता दी और इसे विवाद में डाल दिया। याचिका के अनुसार एसडीएम के आदेश के पूर्व के राजस्व दस्तावेजों का अवलोकन किया जा सकता है। इसमें स्पष्ट है कि उक्त जमीन राजस्व दस्तावेजों में कभी भी आदिवासी के नाम पर दर्ज ही नहीं हुई है। मिसल अभिलेखों में भी यह जमीन गैर आदिवासी के नाम पर ही दर्ज है। याचिकाकर्ता ने बताया है कि प्रकरण की सुनवाई के दौरान भी राजस्व दस्तावेजों की कॉपी पेश की गई थी । इसके बाद भी उक्त जमीन को विवादित बना दिया है। याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट के समक्ष वर्ष 1954-55 के राजस्व दस्तावेजों को पेश करते हुए भूमि स्वामी हक बताया है और अनुविभागीय अधिकारी द्वारा जारी आदेश को खारिज करने की गुहार लगाई है। याचिकाकर्ता ने कहा कि राजस्व अधिकारियों ने प्रत्यावर्तन का आदेश सुनाते वक्त गंभीर त्रुटि की है। मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए राजस्व अधिकारियों द्वारा पूर्व में पारित आदेश को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने प्रकरण को पुनः अनुविभागीय अधिकारी के समक्ष पेश करने और पुराने अभिलेख वर्ष 1954-55 के जमाबंदी के आधार पर निराकरण का आदेश जारी किया है। इसके लिए छह महीने की अवधि तय की है।
क्या है मामला
ग्राम रांक निवासी ईश्वर प्रसाद पिता सोनऊ राम द्वारा वर्ष 1984 व 1993 में मूल भूमि स्वामी से विधिवत पंजीकृत बैनामा के माध्यम से क्रय की गई थी । जमीन की खरीदी के बाद कब्जा प्राप्त किया। इसके बाद राजस्व अभिलेखों मे अपना नाम नामांतारण कराया था। सोनऊ राम द्वारा क्रय की गई भूमि खसरा नंबर 1799/1 व 1740/1 भूमि पर तत्कालीन अनुविभगिय अधीकारी द्वारा शिकायत के आधार पर स्व प्रेरणा से वर्ष 1998 में छत्तीसगढ़ भू राजस्व संहिता की धारा धारा 170 ख के तहत प्रकरण प्रारंभ किया गया ।पटवारी प्रतिवेदन के आधार पर अनुविभगिय अधिकारी ने चार मार्च 1998 को प्रत्यावर्तान का आदेश पारित किया। अनुविभगाीय अधिकारी के आदेश को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता ने पहले कलेक्टर कोर्ट में अपील पेश की । कलेक्टर कोर्ट से अपील खारिज होने के बाद कमिश्नर कोर्ट के समक्ष अपील पेश की । कमिश्नर ने भी अपील खारिज कर दी। कमिश्नर के आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में गुहार लगाई है।