फोन पर आप क्या खोजते हैं ठगों की है नजर, इसी आधार पर साइबर ठग अपनी रणनीति को दे रहे अंजाम
Bilaspur news: डिजिटल व्यवहार को पढ़कर साइबर ठग अपनी रणनीति तय कर रहे हैं। सरकारी चेतावनियों और जागरूकता अभियानों के बावजूद जिले में साइबर ठगी के मामल ...और पढ़ें
Publish Date: Mon, 29 Dec 2025 02:43:42 PM (IST)Updated Date: Mon, 29 Dec 2025 02:43:42 PM (IST)
फोन पर आप क्या खोजते हैं, ठग वही बेचते हैं, साइबर अपराध का बदलता चेहरा।HighLights
- बड़ी वजह हमारी छोटी-छोटी लापरवाहियां
- बैंक कर्मी, पुलिस, रिश्तेदार बन कर रहे कॉल
- सरकारी योजनाओं के बहाने लोगो को ठग रहे
नईदुनिया प्रतिनिधि, बिलासपुर। मोबाइल फोन आज जरूरत से आगे हमारी दिनचर्या का एक तरह से अहम हिस्सा बन चुका है। हम क्या खोजते हैं, किससे बात करते हैं और किस लिंक पर क्लिक करते हैं, हर गतिविधि का डिजिटल निशान बनता है।
इसी डिजिटल व्यवहार को पढ़कर साइबर ठग अपनी रणनीति तय कर रहे हैं। सरकारी चेतावनियों और जागरूकता अभियानों के बावजूद जिले में साइबर ठगी के मामले लगातार सामने आ रहे हैं।
बड़ी वजह हमारी छोटी-छोटी लापरवाहियां
डिजिटल सुविधा के इस दौर में साइबर अपराध की सबसे बड़ी वजह हमारी छोटी-छोटी लापरवाहियां बन रही हैं। ऑनलाइन शॉपिंग, होटल बुकिंग, स्कूल एडमिशन, लोन या यात्रा से जुड़ी खोज करते ही उनसे संबंधित कॉल और विज्ञापन सामने आने लगते हैं।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डेटा एनालिटिक्स के जरिए साइबर अपराधी यह समझ लेते हैं कि व्यक्ति किस तरह की जरूरत या दबाव में है।
बैंक कर्मी, पुलिस, रिश्तेदार बन कर रहे कॉल
बिलासपुर में हाल के मामलों में देखा गया है कि ठग बैंक अधिकारी, पुलिस, कस्टम विभाग या यहां तक कि रिश्तेदार बनकर कॉल करते हैं। कभी खाते में गड़बड़ी, कभी पार्सल फंसने, तो कभी दुर्घटना या गिरफ्तारी का डर दिखाकर तुरंत पैसे ट्रांसफर कराने की कोशिश होती है। कई मामलों में फर्जी ऐप डाउनलोड करवाकर मोबाइल का पूरा नियंत्रण भी ले लिया जाता है।
सरकारी योजनाओं के बहाने लोगो को ठग रहे
अब तो सरकारी योजनाओं के बहाने लोगो को ठग रहे हैं। कभी पीएम अवास तो कभी लोन पास होने के नाम पर। विशेषज्ञों का कहना है कि ठग सबसे पहले डर, लालच या जल्दबाजी का माहौल बनाते हैं। जैसे ही व्यक्ति घबराता है वह ओटीपी, लिंक या भुगतान की गलती कर बैठता है।
ऐसे मामलों में समय पर प्रतिक्रिया और सही जानकारी ही सबसे बड़ी सुरक्षा है। साइबर ठगी कोई तकनीकी नहीं, मनोवैज्ञानिक अपराध बन चुका है, जहां अपराधी पहले दिमाग पर हमला करता है।
1930 हेल्पलाइन या साइबर थाने में शिकायत करें
बैंकर्स क्लब के समन्वयक ललित अग्रवाल कोविड-19 के बाद से लगातार लोगों को जागरूक करते आ रहे हैं। नए साल शुरू होने से पहले भी सतर्कता संदेश भेज रहे हैं। ताकि लोगों को इन ठगों से बचाया जा सके। जैसे अनजान कॉल, वीडियो कॉल या मैसेज पर तुरंत प्रतिक्रिया न दें।
कोई भी सरकारी एजेंसी फोन पर पैसे या ओटीपी नहीं मांगती। संदिग्ध लिंक, ऐप या क्यूआर कोड से दूरी रखें। ठगी की आशंका हो तो 1930 हेल्पलाइन या साइबर थाने में तुरंत शिकायत करें।