
Bilaspur News: बिलासपुर(नईदुनिया प्रतिनिधि)। भगवान प्रभु श्री राम ने भाई लक्ष्मण के साथ माता सीता की खोज में भटकते हुए जब शिवरीनारायण में कदम रखे तो माता शबरी के वात्सल्य के वशीभूत हो गए। यही वो स्थान है, जहां आश्रम में प्रभु ने शबरी के जूठे बेर खाए। माता शबरी को इसके बाद मोक्ष प्राप्त हुआ। मान्यता है कि आज भी प्रभु श्री राम के चरणों को अविरल जल पखार रहा है।
जांजगीर-चांपा जिले में स्थित शिवरीनारायण धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। छत्तीसगढ़ में इस स्थान को जगन्नाथपुरी के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर रुककर भगवान राम ने शबरी के जूठे बेर खाए थे। यहां जोक, महानदी और शिवनाथ नदी का संगम है। नर-नारायण और शबरी का मंदिर भी है। मंदिर के पास एक ऐसा वट वृक्ष है, जिसके दोने के आकार में पत्ते हैं। रामनवमी और रथयात्रा पर यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं।
मंदिर के पुजारी सुधांशु तिवारी ने बताया कि भगवान प्रभु श्री राम को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। जिस स्थान पर प्रभु की मूर्ति के चरण हैं, उसके ठीक नीचे आज भी जल बहता रहता है। जल कहां से आता है, इसका पता किसी को नहीं है। आदिकाल से जल अविरल बह रहा है। छोटे से कुंड का दर्शन करने दूर-दूर से भक्त पहुंचते हैं। यहां राज्य का सबसे बड़ा मेला भी लगता है। इसमें ओडिशा, झारखंड, मध्य प्रदेश समेत अन्य राज्यों के लोग आते हैं। माघी पूर्णिमा के दिन त्रिवेणी संगम में शाही स्नान साधु-संत करते हैं।
शिवरीनारायण का मंदिर आसमान से देखने पर श्री यंत्र जैसा प्रतीत होता है। कुछ समय पहले ड्रोन कैमरे से खिंची गई तस्वीर से यह पूरी तरह स्पष्ट हुआ। इसके अलावा माता शबरी का विशाल मंदिर भी स्थित है। कथानुसार प्राचीन मंदिर छमासी रात में निर्माण हुआ। सुबह होने पर एक हिस्सा अधूरा रह गया। शेष मंदिर में अद्वितीय नक्काशी की गई है।
पुजारी सुधांशु के अनुसार इसी स्थान पर प्राचीन समय में भगवान जगनाथ की तीनों प्रतिमाएं स्थापित थीं। बाद में इनको जगन्नाथ पुरी में ले जाया गया। इसी आस्था के फलस्वरूप माना जाता है कि आज भी साल में एक दिन भगवान जगन्नाथ यहां आते हैं। रथयात्रा के दिन यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।
राज्य सरकार ने 75 स्थानों को राम पथ गमन से जोड़ा है। कोरिया जिले से लेकर दक्षिण के सुकमा जिले तक नौ स्थानों का सौंदर्यीकरण तथा विकास किया जा रहा है। ये सभी स्थान पहले ही प्राकृतिक दृश्यों से भरपूर हैं। पौधारोपण के जरिए अब इन्हें और भी हरा-भरा किया जा रहा है। इनमें शिवरीनारायण भी शामिल है। रामनवमी पर इस साल बड़ी संख्या में भक्त दर्शन करने पहुंचेंगे।