Bilaspur Railway News: बिलासपुर(नईदुनिया प्रतिनिधि)। बिलासपुर रेल मंडल की सभी रेललाइनों का विद्युतीकरण हो गया है। 100 प्रतिशत विद्युतीकरण का दावा करने वाली रेल का मानना है कि इससे ट्रेनों के परिचालन में बाधा नहीं आएगी और ट्रैक्शन(कर्षण) में परिवर्तन यानी डील से इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रिक से डील ट्रैक्शन में परिवर्तन के कारण ट्रेन परिचालन में होने वाला विलंब समाप्त हो जाएगा।
भारतीय रेलवे दुनिया में सबसे बड़ा हरित रेलवे बनने के लिए मिशन मोड में काम कर रही है। वर्ष 2030 से पहले "शून्य कार्बन उत्सर्जक" बनने की दिशा में आगे बढ़ रही है। भारतीय रेलवे का हिस्सा बिलासपुर रेल मंडल ने तो बड़ी सफलता हासिल कर ली है। अब यहां सभी लाइनों में विद्युतीकरण का कार्य पूरा हो चुका है। मंडल में विद्युतीकरण की शुरुआत 1969-70 में मुंबई-हावड़ा मेन लाइन पर झारसुगुड़ा-रायगढ़ रेल लाइन के विद्युतीकरण के साथ शुरू हुआ। 19 जनवरी 1970 को झारसुगुड़ा-रायगढ़ रेलखंड, 24 जनवरी, 1970 को रायगढ़-बिलासपुर रेलखंड एवं 31 जनवरी 1970 को बिलासपुर यार्ड का विद्युतीकरण कार्य पूर्ण किया गया।
बिलासपुर रेल मंडल 819.457 रूट किमी व 2215.455 ट्रैक किमी है। इन्हीं लाइनों को शत-प्रतिशत विद्युतीकृत किया गया है। वर्तमान में बिलासपुर रेल मंडल से वंदे भारत जैसी विशेष ट्रेन, राजधानी, जनशताब्दी व अन्य एक्सप्रेस ट्रेनों सहित लगभग दो दर्जन मेमू ट्रेनों का परिचालन किया जा रहा है। इसके साथ ही बिलासपुर रेल मंडल को संपूर्ण भारतीय रेलवे में सर्वाधिक माल लदान करने वाले रेल मंडल के रूप में गौरव प्राप्त है। इसके फलस्वरूप यहां से मालगाड़ियों का परिचालन भी बहुतायत होता है। इस रेलवे में एलएचबी आधारित ट्रेनों में हेड आन जनरेशन(एचओजी) प्रणाली शुरू कर शांत एवं सुविधाजनक रेल परिवहन के लिए भी एक सराहनीय पहल की गई है।
- डीजल ईंधन पर निर्भरता कम होगी। इससे कीमती विदेशी मुद्रा की बचत के साथ कार्बन फुटप्रिंट्स में कमी आएगी।
- डील ट्रैक्शन की तुलना में इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन बहुत सस्ता और कुशल है। 50 प्रतिशत तक राजस्व की बचत।
- इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव की उच्च ढुलाई क्षमता वाली भारी मालगाड़ी और लंबी दूरी की ट्रेनों की परिवहन क्षमता में वृद्धि।