बिलासपुर। Bilaspur Railway News: छत्तीसगढ़ के रास्ते शनिवार को पहली आक्सीजन एक्सप्रेस विशाखापत्तनम से महाराष्ट्र के नासिक तक पहुंची। सुरक्षित व समय पर इस ट्रेन के परिचालन के लिए ग्रीन कारिडोर बनाया गया है। कोरोना काल में आक्सीजन की कमी सभी राज्यों में है।
समय पर आक्सीजन पहुंचेके लिए आक्सीजन एक्सप्रेस चलाई जा रही है। यह रेलवे के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। लिक्विड मेडिकल आक्सीजन टैंकरों के आवागमन की जिम्मेदारी मिलते ही रेलवे के अधिकारियों ने काम शुरू दिया। इसके लिए बहुत कम समय में रैंप बनाया गया। इसके सुरक्षित व समय पर आक्सीजन पहुंचाने के लिए विशाखापत्तनम, लखोली, रायपुर, भिलाई, दुर्ग, राजनांदगांव, डोंगरगढ़, गोंदिया व नागपुर, कलंबोली व नासिक तक कारिडोर बनाया गया है। इसी रास्ते से नासिक तक पहली आक्सीजन एक्सप्रेस सफलतापूर्वक चलाई गई।
घाट सेक्शन, रोड ओवरब्रिज, टनल, प्लेटफार्म, ओवर हेड उपकरण आदि विभिन्न् बाधाओं पर विचार करते हुए मार्ग का खाका तैयार किया गया। इस दौरान पाया गया कि 3,320 मिमी की ऊंचाई वाले टैंकर 1,618 के माडल को फ्लैट वैगनों पर रखा जा सकता है। आक्सीजन क्रायोजेनिक और खतरनाक रसायन है। इसलिए रेलवे को बेहद सावधानी बरतनी पड़ रही है। बीच-बीच में प्रेशर की जांच करनी पड़ती है, खासकर जब यह भरी हुई स्थिति में हो।
33 घंटे लगे
महाराष्ट्र कलंबोली और विशाखापत्तनम के बीच की दूरी 1,850 किमी से अधिक है। 100 से अधिक टन एलएमओ(लिक्विड मेडिकल आक्सीजन) वाले सात टैंकरों को 10 घंटे में लोड़ किया गया और केवल 21 घंटे में नागपुर तक भेजा गया। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे को आक्सीजन एक्सप्रेस पूर्व तट रेलवे से लाखौली इंटरचेंज प्वाइंट पर 10:45 सुबह में प्राप्त हुआ था।
इसे रायपुर मंडल ने दुर्ग प्वाइंट पर नागपुर मंडल को 12:25 दोपहर में सौंप दिया। इसके बाद नागपुर मंडल ने शुक्रवार की रात 8:10 बजे मध्य रेलवे नागपुर स्टेशन पहुंचा दिया। नागपुर में तीन टैंकरों को उतार दिया है और शेष चार टैंकर शनिवार की सुबह 10:25 बजे नासिक पहुंच गए हैं। इस दौरान केवल 12 घंटे का समय लगा।