बिलासपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। रेलवे परिक्षेत्र में अनाधिकृत प्रवेश, पटरी पर विरोध-प्रदर्शन करना या परिचालन में बाधा डालना अपराध है। ऐसा करने पर जुर्माना हो सकता है। 10 साल की सजा का भी प्रविधान है। ट्रेनों के सुरक्षित परिचालन को लेकर रेलवे इसी तरह अपील कर रही है।
रेलवे स्टेशन से लेकर ट्रेनों में जागरूकता के लिए सूचनात्मक बोर्ड लगाए जा रहे हैं। ताकि इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लगे। सुरक्षित व निर्बाध परिचालन से यात्रियों को भी राहत मिलती है।
रेलवे का कार्य जनहित से जुड़ा है। यह ना केवल देश की मूल संरचनात्मक आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। बल्कि, बिजली, उद्योग, अस्पताल आदि क्षेत्रों में भी अबाध आपूर्ति को भी सुनिश्चित करती है। राष्ट्रीय आपात स्थिति के दौरान आपदाग्रस्त क्षेत्रों में राहत सामग्री पहुंचाने में अहम रोल अदा करती आई है।
यही कारण है कि आज भी रेलवे को यात्री परिवहन एवं माल परिवहन का सबसे सस्ता व सुलभ साधन माना जाता है। रेल संचालन को बाधित करने से यात्रा के दौरान यात्रियों को अनावश्यक परेशानी होती है। खासकर बुजुर्ग व बच्चों के साथ यात्रा करने वाले यात्री अत्यधिक परेशान होते हैं। इसके साथ ही आवश्यक सामान की आपूर्ति भी बाधित होती है।
इससे देश में संकट की स्थिति निर्मित हो सकती है। ऐसा स्थिति न हो और ट्रेनों को निर्बाधा परिचालन जारी रहे, इसके लिए समय-समय जागरूकता अभियान भी चलाया जाता है। वर्तमान में भी इसी तरह अपील की जा रही है। इसके साथ ही ऐसे अपराधों के लिए रेल अधिनियम बनाए गए हैं।
इन अधिनियमों की जानकारी भी दी जा रही है। रेलवे का कहना है कि विगत दिनों हिमगीर, करगीरोड़, ब्रजराजनगर, बिजुरी, गेवरारोड़, चंदिया रोड़ तथा अन्य स्टेशनों में हुए रेल आंदोलन के दौरान रेल पटरी पर विरोध प्रदर्शन, ट्रेन संचालन में व्यवधान उत्पन्न् करने वालों के खिलाफ विभिन्न् धाराओं के तहत अपराध दर्ज कर भारी जुर्माना वसूला गया है। प्रकरण अभी रेलवे न्यायालय में है।
Posted By: Manoj Kumar Tiwari
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