
नईदुनिया प्रतिनिधि, बिलासपुर। न्यायधानी बिलासपुर जिसे शिक्षा की राजधानी (एजुकेशन हब) कहा जाता है, यहां के आचार्या कोचिंग क्लासेज के तथाकथित मैनेजेमेंट अधिकारियों ने बीते 5 नवंबर को बीच सड़क पर ट्यूटर अभय अग्रवाल को थप्पड़ों और गालियों की बरसात में डुबो दिया। महिला और मासूम बच्चे के सामने अपशब्दों की बौछार करते हुए शिक्षक का पेन-चश्मा तक फेंक दिया। इसे लेकर शहर में जनाक्रोश था जो सोमवार को फूटा। पुलिस को सुरक्षा घेरा बनाना पड़ा। आखिरकार संस्था ने दोनों आरोपित कर्मचारियों आदिल और सर्वेश को नौकरी से हटाने पर सहमति दी।
तारबाहर थाना अंतर्गत लिंक रोड स्थित सीएमडी पीजी कालेज के सामने घटित इस शर्मनाक घटना ने शिक्षा व्यवस्था की सच्चाई खोलकर रख दी थी। आचार्या कोचिंग क्लासेज के दो "गुंडे" आदिल और सर्वेश ने एक ट्यूटर को बीच सड़क पर पीट डाला, क्योंकि वह उनके छात्रों से बातचीत कर रहा था। आरोप है कि ट्यूटर बच्चों को अपने ट्यूशन में बुला रहा था, पाम्पलेट दे रहा था।
इसे लेकर दोनों शिक्षकों ने गुस्से में हाथापाई शुरू कर दी। कोचिंग के दोनों गुंडे महिला और बच्चे के सामने ट्यूटर को थप्पड़ मारते और अपशब्द बोलते नजर आते हैं। आसपास के लोग बीच-बचाव करने पहुंचे, लेकिन शिक्षकों की दबंगई जारी रही। आसपास लोगों ने घटना का वीडियो बनाकर इंटरनेट मीडिया पर डाली तो शहर में खलबली मच गई।
सक्ती में रहने वाले अभय अग्रवाल (ट्यूटर) ने मारपीट की शिकायत की थी। अभय ने तारबाहर पुलिस को बताया कि वे क्रांति नगर में रहकर कोचिंग सेंटर चलाते हैं। वे बुधवार को अपने कोचिंग सेंटर के प्रमोशन के लिए लिंक रोड स्थित आचार्या इंस्टीट्यूट के सामने पंप्लेट बांट रहे थे। उनके साथ पत्नी सेफाली कलानोरिय और उनकी स्टूडेंट मेघा और जागृति भी साथ में थीं। तभी आचार्या इंस्टीट्यूट में काम करने वाले सर्वेश और आदिल नाम के दो लोग बाहर आए। उन्होंने अभय को वहां से जाने के लिए कहते हुए मारपीट की। मारपीट से घायल की शिकायत पर पुलिस ने बीएनएस की धारा 115 (2), 2963 (5), 351(2) के तहत मामला दर्ज कर लिया।
कोचिंग संचालक दीपक कुमार ने नईदुनिया से कहा कि मैं फोन पर कुछ नहीं कहूंगा। अभी हमारा भी वीडियो जारी करेंगे।
सोमवार को सुबह से ही गार्गी फाउंडेशन, स्वयं सिद्धा संस्था, धर्म सेना और एनएसयूआई के पदाधिकारी और कार्यकर्ता आचार्या इंस्टिट्यूट के सामने जुट गए। पुलिस की मौजूदगी में जोरदार प्रदर्शन हुआ। माहौल इतना तनावपूर्ण था कि पुलिस को सुरक्षा घेरा बनाना पड़ा। गार्गी फाउंडेशन की अध्यक्षा बिंदु सिंह कछवाहा, स्वयं सिद्धा संस्था की प्रमुख चंचल सलूजा और धर्म सेना के संयोजक धनंजय गोस्वामी सहित एनएसयूआई जिलाध्यक्ष रंजीत सिंह ने नेतृत्व करते हुए प्रदर्शन किया। महिला सुरक्षा की अनदेखी बंद करो और आचार्या से गुंडों को हटाओ, गधो को भगाओ के नारे लगातार गूंजते रहे। तारबाहर पुलिस को हालात काबू में रखने के लिए जवानों की तैनाती करनी पड़ी।
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि यह मामला सिर्फ एक शिक्षक का नहीं बल्कि समाज के सम्मान और सुरक्षा की लड़ाई है। बढ़ते दबाव के बाद संस्थान प्रशासन ने आरोपी कर्मचारियों आदिल और सर्वेश को तत्काल हटाने की सहमति पुलिस के समक्ष दी। इसके बाद महिला संगठनों ने संस्थान में पढ़ने वाली बेटियों और कार्यरत स्टाफ की सुरक्षा व्यवस्था की जानकारी ली। एनएसयूआई पदाधिकारियों ने कालेज प्रबंधन को खामियों की सूची सौंपते हुए चेताया कि भविष्य में ऐसी घटना दोहराई गई तो संस्थान की तालाबंदी की जाएगी।
तारबाहर थाना प्रभारी कृष्णचंद सिदार पर कार्रवाई न होने से लोगों में गुस्सा है। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि जब वीडियो में घटना साफ थी, तब मामूली धाराएं लगाकर आरोपितों को छोड़ना पुलिस की संवेदनशीलता पर सवाल खड़ा करता है। गार्गी फाउंडेशन और धर्म सेना के सदस्यों ने एक बार फिर कहा कि एसपी रजनेश सिंह को ज्ञापन सौंपने की बात कही और मांग की कि संबंधित टीआई को तत्काल हटाया जाए।
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि शिक्षक अभय अग्रवाल केवल अपने कोचिंग का पंपलेट बांट रहे थे। यह कोई अपराध नहीं था। उन्हें पत्नी और बच्चे के सामने पीटना समाज की संवेदनाओं पर प्रहार है। यह सिर्फ एक व्यक्ति पर हमला नहीं बल्कि शिक्षकों की गरिमा और अभिव्यक्ति की आजादी पर सीधा वार है। अभी तो केवल संस्था ने कार्रवाई की है हम चाहते हैं कि पुलिस भी अपनी जिम्मेदारी निभाए। सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो समाज न्याय के लिए सड़कों पर उतरने को मजबूर होगा।