बिलासपुर। अचानकमार टाइगर रिजर्व में वन्यप्राणियों की गणना के दौरान कैमरे में काला तेंदुआ कैद हुआ है। अलग- अलग 4 से 5 जगहों में आई तस्वीर से प्रबंधन का अनुमान है कि इनकी संख्या बढ़ रही है। हालांकि सही आंकड़ा देहरादून से रिपोर्ट आने के बाद सामने आएगी।
यह दूसरी बार है जब कैमरे के माध्यम से इस रंग के तेंदुए को देखा गया है। वन विभाग का मानना है कि ब्रीडिंग के कारण इनकी संख्या बढ़ रही है। कैमरे में आई तस्वीर अलग-अलग स्थानों की है। मालूम हो कि फरवरी में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के निर्देश पर देशभर में अखिल भारतीय बाघ गणना हुई।
इसके तहत अचानकमार टाइगर रिजर्व में दो से तीन तरह की पद्धति अपनाते हुए बाघों के अलावा अन्य वन्यप्राणियों की संख्या को दर्ज किया गया है। इन्हीं में एक सिस्टम ट्रैप कैमरे भी है। कोर जोन में 200 जगहों पर 400 कैमरे लगाए गए हैं। एक जगह पर दो कैमरे आमने- सामने लगाए जाते हैं।
यह पद्धति 2010 से अपनाई जा रही है। सात दिनी इस गणना के पहले तीन दिन मांसाहारी वन्यप्राणियों की गणना हुई। इसमें कई जगहों पर बाघ व तेंदुए समेत कुछ और मांसाहारी वन्यप्राणियों के पदचिन्ह, मल व पेडों में खरोच के निशान मिले हैं।
बाघ सहित वन्यप्राणियों की गणना के लिए लगाए गए कैमरे ने इस काले तेंदुए को कैद किया है। संरक्षित श्रेणी में आने के कारण बाघ और तेंदुए की सुरक्षा को ध्यान में रखकर जगह को गोपनीय रखा जा रहा है।
काले क्यों हो जाते हैं तेंदुए
एटीआर के डिप्टी डायरेक्टर मनोज कुमार पांडेय व कानन पेंडारी जू के चिकित्सक डॉ. पीके चंदन ने बताया कि इन्हें एल्विनो कहा जाता है। यानी जीन्स में आए बदलाव के कारण इनका रंग काला भी हो सकता है। यह आनुवांशिक होता है।
शावक सामान्य पीले या काले रंग के भी हो सकते हैं, लेकिन रंग में बदलाव का असर उनकी जीवनशैली पर नहीं पड़ता है। उन्होंने अनुमान व्यक्त किया है कि टाइगर रिजर्व में इनकी संख्या 4 या 5 से अधिक हो सकती है। क्योंकि ये कई अलग-अलग स्थानों पर देखे गए हैं। मालूम हो कि तेंदुए पीले रंग के होते हैं।
इनके शरीर पर काले - काले गुलाब फूल के धब्बों के निशान बने होते हैं। इसकी पूंछ पर काले धब्बे के स्थान पर काले रंग के पांच, छह गोले बने रहते हैं। सिर, पैर तथा पेट पर यह धब्बे गुलाब के फूलों की तरह बड़े न होकर छोटे- छोटे काले ठोस बिन्दुओं की तरह होते हैं।