नईदुनिया प्रतिनिधि.बिलासपुर: शहर समेत बिलासपुर जिले में लगातार सालों में आवारा कुत्तों का आतंक बढ़ता ही जा रहा है। इनके आवारा आतंक का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इन कुत्तों ने चार साल के भीतर 49 हजार 806 लोगों को शिकार बनाया है।यह आकड़ें सिम्स (छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान) के है। जहां चार साल में कुत्ता काटने के बाद आहत एंटी रैबीज वैक्सीन लगवाने के लिए पहुंचे है। साफ है कि इन कुत्तों पर लगाम नहीं लगाया गया तो लोग इनके काटने का शिकार होते ही रहेंगे।
शहरी क्षेत्र में आवारा कुत्तों की संख्या नियंत्रण की जिम्मेदारी नगर निगम की है। वहीं जिला स्तर पर प्रशासन को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। लेकिन सड़क में रहने वाले इन कुत्तों को पकड़ने के काम में हमेशा से खानापूर्ति रवैया अपनाया जाता रहा है। इसकी वजह से कुत्तों की संख्या कम होने के बजाय सालों से बढ़ती ही गई है। परिणाम स्वरुप रोजाना शहरी के साथ ग्रामीण क्षेत्र में इनके आवारा आतंक का शिकार लोग हो रहे है। इसी वजह से सिम्स पहुंचने वाले डाग बाइट के आकड़े चौकाने वाले है।
इधर सुप्रीम कोट ने भी देश में बढ़ती कुत्तों की संख्या और डॉग बाइट के मामलों को देखते हुए चिंता जाहिर की है।साथ ही कुत्तों को हटाने के लिए शासन को कड़े निर्देश दिए है। जिसके तहत सेल्टर रुम बनाकर इन कुत्तों को वही रखने व उनके खाने-पीने की व्यवस्था करने के सख्त निर्देश है। वही अब देखने है कि बात यह है कि डाग बाइट के बढ़ते मामले और कुत्तों की संख्या पर कैसे लगाम लगाया जाएगा या फिर इस बार भी खानापूर्ति की जाएगी।
नगर निगम सीमा क्षेत्र में दस हजार से ज्यादा कुत्ते सक्रिय है, जो रोजाना लोगों को डॉग बाइट का शिकार बना रहे है।ग्रामीण स्तर में तो इनकी संख्या और भी बढ़ी है, लेकिन इनकी संख्या पर कभी भी ध्यान नहीं दिया गया है। ऐसे में पुरे जिले में कुत्तों की संख्या का पुष्ठ आकड़ा मौजूद नहीं है। पर इनकी संख्या डराने वाली है और जब तक इन पर नियंत्रण नहीं लगता है तब तक डागबाइट के मामले होते ही रहेंगे।
वैसे तो शहर के हर सड़क पर कुत्ते नजर आ जाते है। लेकिन शहर के कुछ खास सड़क में इनका आतंक बना हुआ है। इसमे स्मार्ट रोड व्यापार विहार, पीजीबीटी कालेज रोड, तारबाहर चौक, श्रीकांत वर्मा मार्ग, भारतीय नगर चौक, लिंक रोड, तालापारा रोड, सरकंडा नूतन चौक, अशोक नगर सरकंडा मार्ग, दयालबंद रोड, कोनी रोड आदि प्रमुख है।
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सिम्स से मिली जानकारी के अनुसार कुत्ते काटने के मामले लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। आलम यह है कि अब हर रोज सिर्फ सिम्स में ही कुत्ते काटने के 70 से 75 मामले आ रहे हैं। जिनका उपचार सिर्फ एंटी रैबीज वैक्सीन से होता है। कुत्तों की संख्या पर लगाम नहीं लगा तो यह आकड़ा और भी बढ़ते जाएगा।
कुत्ते काटने के मामले बढ़ते ही जा रहे है। शासन स्तर पर डाग बाइट के मामले कम करने के लिए कोई प्रभावी कदम उठाना जरुरी हो गया है।डाग बाइट के आहत को सिम्स में उपचार मिल रहा है।जिन्हें निश्शुल्क एंटी रैबीज वैक्सीन लगाया जा रहा है।
-डॉ. लखन सिंह, एमएस, सिम्स