नईदुनिया प्रतिनिधि, बिलासपुर: हाई कोर्ट ने महासमुंद जिले के एक युवक 2005 में दर्ज दुष्कर्म और धमकी के मामले में सुनाई गई सजा से बरी कर दिया। न्यायमूर्ति सचिन सिंह राजपूत की एकलपीठ ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपित करिया उर्फ मालसिंह बिंझवार की दोष सिद्धि को संदेह से परे सिद्ध नहीं कर सका, इसलिए उसे संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त किया जाता है।
कोर्ट ने पाया कि पीड़िता की गवाही में गंभीर विरोधाभास हैं। एफआइआर में कई बार दुष्कर्म का आरोप थे, जबकि अदालत में केवल एक घटना का उल्लेख है। मेडिकल रिपोर्ट में न तो गर्भपात के निशान मिले और न ही ऐसा प्रमाण कि गर्भधारण कथित कृत्य का परिणाम था। घटना की रिपोर्ट सात महीने देर से दर्ज हुई और इसका कोई संतोषजनक कारण नहीं दिया गया। साथ ही, आरोपी और पीड़िता के पिता के बीच पुरानी दुश्मनी भी सामने आई इन परिस्थितियों को देखते हुए अदालत ने कहा कि संदेह का लाभ आरोपित को मिलना चाहिए और उसे सभी आरोपों से मुक्त किया जाता है।
महासमुंद जिले के बसना थाना क्षेत्र की 18 वर्षीय युवती, जो पोलियो पीड़ित है, अपने घर में अकेली थी। जनवरी 2005 से लगभग छह महीने पहले करिया उर्फ मालसिंह बिंझवार उसके घर में घुसा और उसके साथ दुष्कर्म किया और धमकाया कि किसी को बताने पर जान से मार देगा। युवती ने आरोप लगाया कि इसके बाद जब भी वह अकेली होती, आरोपी बार-बार जबरन यौन शोषण करता रहा, जिससे वह गर्भवती हो गई। घटना के लगभग सात महीने बाद 10 जनवरी 2005 को पीड़िता ने अपने पिता को जानकारी दी और फिर लिखित शिकायत पुलिस स्टेशन बसना में दर्ज कराई।
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इस मामले में प्रथम अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश महासमुंद ने नौ सितंबर 2005 को आरोपी युवक करिया को 7 साल सश्रम कारावास और आपराधिक धमकी देने के लिए तीन साल सजा सुनाई थी। जिसके खिलाफ आरोपी ने हाई कोर्ट में