नईदुनिया प्रतिनिधि, बिलासपुर: छत्तीसगढ़ में बिना मान्यता के संचालित 330 से अधिक नर्सरी स्कूलों पर हाई कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए राज्य सरकार को फटकार लगाई है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान टिप्पणी की और कहा कि, आपके जवाब से तो ऐसा लग रहा है कि पानठेला वाले भी स्कूल खोल सकते हैं। मर्सिडीज में घूमने वालों को बचाने आप लोग नियम बदल देते हैं।
कांग्रेस नेता विकास तिवारी द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने स्पष्ट किया कि 2013 से लागू नर्सरी स्कूलों की मान्यता संबंधी नियमों को नजरअंदाज कर नए नियम बनाकर पिछली तिथि से लागू नहीं किया जा सकता।
कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि जब 2013 से मान्यता की अनिवार्यता थी, तब 12 वर्षों तक बिना अनुमति स्कूल कैसे चलते रहे। चीफ जस्टिस ने कहा कि, आपने 25 जुलाई को कमेटी बनाई और दो दिन में रिपोर्ट भी आ गई। यह पूरी प्रक्रिया केवल बड़े स्कूल संचालकों को बचाने के लिए की गई है। कोर्ट ने आगे कहा कि बच्चों और पालकों से फर्जीवाड़ा करने वाले स्कूलों पर क्रिमिनल केस दर्ज करें और सभी बच्चों को पांच-पांच लाख रुपये मुआवजा दिलाएं।
सुनवाई के दौरान जब कोर्ट को बताया गया कि शिक्षा सचिव अवकाश पर हैं, तो चीफ जस्टिस ने तीखी टिप्पणी की और कहा कि सचिव साहब तो हमारे डर से 15 दिन की छुट्टी को 30 दिन बढ़ा देंगे। इतने गंभीर मामले में सचिव की गैरहाजिरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। कोर्ट ने 13 अगस्त तक शिक्षा सचिव से या उनकी अनुपस्थिति में संयुक्त सचिव से नया शपथ पत्र दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
कोर्ट ने तल्ख लहजे में कहा छत्तीसगढ़ एक विकासशील राज्य है, यहां शिक्षा विभाग के लापरवाह अधिकारियों के कारण गरीब बच्चों को उनके अधिकार नहीं मिल पा रहे हैं। हर रोज सुबह उठिए तो एक नया स्कैम नजर आता है। आखिर कब तक चलेगा यह सिलसिला।
शिक्षा विभाग ने अपने शपथ पत्र में यह दावा किया था कि नर्सरी स्कूलों को मान्यता देने का कोई प्रावधान नहीं है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता संदीप दुबे ने 2013 के सर्कुलर का हवाला देते हुए इस दावे को झूठा बताया। यह सुनते ही कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि, जब बड़े स्कूल संचालकों पर कार्रवाई का समय आया, आपने नियम ही बदल डाले। नियम बदल कर आप मर्सिडीज वालों को बचा रहे हैं। बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ नहीं करने देंगे।
रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए कि जिन स्कूलों ने 12 वर्षों तक बिना मान्यता के संचालन किया है, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रिपोर्ट प्रस्तुत करें। प्रभावित बच्चों को पांच-पांच लाख रुपये का मुआवजा दिलवाकर अन्य स्कूलों में शिफ्ट कराया जाए। मामले की अगली सुनवाई 13 अगस्त को तय की गई है।
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चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने स्पष्ट कहा कि, आप लोगों ने बच्चों और पालकों के साथ फ्राड किया है। गली-मोहल्ले में स्कूल खोलकर लाखों रुपये कमाए और खुद मर्सिडीज में घूम रहे हैं। बच्चों को मुआवजा दिलवाइए, तो इनके द्वारा कमाया गया सारा पैसा निकल जाएगा।