बिलासपुर। Chhattisgarh: गौतमी हाथियों का दल चार माह बाद दोबारा सरगुजा जिले के मैनपाट व कापू वन परिक्षेत्र के सीमावर्ती जंगल मे पहुंच गया है। मूलतः ओडिशा का हाथियों का यह दल मकानों को क्षतिग्रस्त करता है। हाथियों के डर से चोरकीपानी के पहाड़ी कोरवा परिवारों ने पहाड़ी पर सुरक्षित स्थानों पर शरण ली है। पहाड़ी पर पत्थरों के बीच खाली जगहों पर पहाड़ी कोरवा परिवार के सदस्य खुद को सुरक्षित मान रहे हैं। गौतमी हाथियों का दल चार माह पहले ही मैनपाट से रवाना हुआ था।
पिछली बार मैनपाट व कापू वन परिक्षेत्र के सीमावर्ती जंगल में डटे रहने के दौरान हाथियों ने आसपास की आबादी क्षेत्रों में प्रवेश कर मकानों को नुकसान पहुंचाया था। हाथियों ने पहाड़ी कोरवाओं की चोरकीपानी बस्ती में भी धावा बोला था। हाथियों ने यहां कई पहाड़ी कोरवाओं के मकान क्षतिग्रस्त कर दिए थे। हाथियों के चले जाने के बाद भी पहाड़ी कोरवा परिवारों को कथित रूप से किसी प्रकार की कोई मदद नहीं मिल सकी थी और वे इन्हीं टूटे-फूटे मकानों में निवास कर रहे थे।
इसी बीच हाथियों के पुनः आ जाने से पहाड़ी कोरवाओं ने क्षतिग्रस्त मकानों को भी छोड़ दिया है और वे नजदीक के पहाड़ पर ऐसे स्थानों पर शरण ले ली है जहां हाथियों के पहुंचने का खतरा कम है। दो-चार पत्थरों के बीच गुफा जैसे स्थल पर भी पहाड़ी कोरवाओं ने शरण ली है। ऊपरी हिस्से को उन्होंने पॉलीथिन से ढक लिया है। कुछ गर्म कपड़े लेकर पहाड़ी कोरवा परिवार के लोग कठिन परिस्थितियों में रात गुजार रहे हैं।
यह परिस्थिति पूर्व के वर्षों में भी नजर आ चुकी है बलरामपुर जिले के राजपुर वन परीक्षेत्र में 3 वर्ष पूर्व हाथियों द्वारा भारी नुकसान पहुंचाए जाने के दौरान आमदारी गांव में एक पहाड़ी कोरवा परिवार के सदस्यों के नजर नहीं आने की सूचना वन विभाग को मिली थी जब वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी मौके पर पहुंचे थे तो पता चला था कि पहाड़ी कोरवा होने सड़क निर्माण में उपयोग किए गए ह्यूम पाइप को ही अपना आशियाना बना लिया है और वे हाथियों के डर से उसी में निवास कर रहे हैं।