बिलासपुर। जोनल स्टेशन में ठंडे पानी के लिए यात्रियों को रोज जद्दोजहद करनी पड़ रही है। यह नजारा तब सामने आता है, जब कोई ट्रेन पहुंचती। यात्री खाली बाटल लेकर ठंडे पानी का बूथ ढूंढते हैं। पर गिनती के बूथ और उनमें भी ठंडा पानी नहीं निकलने से किसी एक बूथ में भीड़ लग जाती है। ट्रेन छूटने के डर से यात्री पहले बाटल भरना चाहते हैं। इस बीच आपसी विवाद भी होता है। मुख्यालय के रेलवे स्टेशन में यात्रियों को इतनी समस्या हो रही है पर रेल प्रशासन द्वारा किसी तरह पुख्ता इंतजाम नहीं किया जा रहा है।
शुक्रवार को भी प्लेटफार्म एक के हावड़ा छोर पर यही नजारा देखने को मिला। ट्रेन के प्लेटफार्म पर ठहरते ही यात्री खाली बाटल लेकर पानी लेने के लिए दौड़े। इस छोर में केवल ही वाटर कूलर है। जहां से ठंडा पानी निकलता है। जबकि पांच से छह कोच हिस्से में खड़े होते हैं। एक कोच में 80 यात्रियों की संख्या रहती है। इस लिहाज से अंदाजा लगाया जा सकता है कि पानी के लिए यात्रियों को कितनी मशक्कत करनी पड़ रही है। इसी अव्यवस्था के बीच गर्मी का पूरा सीजन निकल गया है।
रेलवे ने यात्रियों की इस असुविधा को दूर करने के लिए ठोस कदम ही नहीं उठाया। यात्रियों में इस अव्यवस्था को लेकर नाराजगी भी रहती है। मालूम हो कि पहले इतनी अव्यवस्था नहीं होती थी। यात्रियों के पास वाटर वेंडिंग मशीन का बड़ा विकल्प रहता था। एक या दो रुपये बाटल भर ठंडा व शुद्ध पानी मिलने से यात्रियों को इधर- उधर नहीं भटकना पड़ता था। हालांकि यह सुविधा आइआरसीटीसी की लापरवाही व लाइसेंसी की बदमाशी की वजह से बंद हुई।
लाइसेंसी कंपनी से आइआरसीटीसी बकाया वसूल करना था, लेकिन उन्होंने जमा नहीं किया। ऐसी स्थिति में आइआरसीटीसी ने बूथ पर लगे उपकरणों समेत अन्य सामानों की नीलामी कराकर बकाया वसूल किया। बाद में यह निर्धारित हुआ की अब यह सुविधा रेलवे उपलब्ध कराई गई। पर डेढ़ साल गुजरने को हैं। सुविधा शुरू होनी तो दूर रेलवे बूथ स्थापित करने के लिए सर्वे तक नहीं किया गया।