Bilaspur Railway News: रेलवे यात्रियों को बेहतर सुविधा प्रदान करने के लिए जोर दे रही है। यही वजह है कि अब ट्रेनों के परंपरागत नीले कोच में बदलाव कर उनकी जगह पर एलएचबी कोच लगाए जा रहे हैं। इस कोच की खासियत यह है कि सफर के दौरान यात्रियों को आराम रहता है और पूरी तरह सुरक्षित भी रहते हैं। इस कोच के कारण रेलवे यात्रियों को मुस्कान के साथ आरामदायक सफर का अहसास करा रही है।
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे से चलने वाली 19 ट्रेनों से पुराने आइसीएफ़ (इंटीग्रल कोच फैक्ट्री) कोच को हटाकर नई तकनीक वाले एलएचबी (लिंक हाफमैन बुश) कोच लगाए गए हैं। इस तरह 22 रैक और 465 एलएचबी कोच हैं। अन्य ट्रेनों में यह सुविधा देने की तैयारी है।
जैसे-जैसे यह कोच उपलब्ध होते जा रहे हैं रेलवे कोच में बदलाव कर रही है। जब से इस कोच से ट्रेनों का परिचालन हो रहा है यात्रियों के बीच से जिस तरह से शिकायतें आती थीं, उसमें कमी आई है। इस कोच के अंदर पुराने कोच से ज्यादा जगह है। इसलिए यात्रियों को अव्यवस्था भी नहीं होती। एलएचबी कोच में हाइड्रोलिक सस्पेंशन का प्रयोग किया जाता है। वही दाएं-बाएं मूवमेंट के लिए भी सस्पेंशन का प्रयोग किया गया है। इसी वजह से ट्रेनों में सफर पहले ज्यादा आरामदायक हो गया है।
एलएचबी कोच का नाम इसका सर्वप्रथम निर्माण किए गए जर्मनी की कंपनी लिंक हाफमैन बुश के नाम पर पड़ा है। एलएचबी कोच भारतीय रेलवे में सर्वप्रथम वर्ष 1999 में शामिल हुआ। वर्तमान में इसका निर्माण कपूरथला रेलवे कोच फैक्टरी में किया जा रहा है। एलएचबी कोच यात्रियों के लिए काफी आरामदायक होता है। रेल परिचालन की दृष्टि एलएचबी कोच काफी सुरक्षित है।
आज के समय की मांग पर अगर गति की बात की जाए तो यह कोच सामान्य कोचों की अधिकतम गति 110-130 किमी प्रतिघंटे की तुलना में 160 किमी प्रतिघंटा से भी अधिक की गति के लिए डिजाइन की गई है। इन कोचों में सामान्य कोचों की तुलना में ज्यादा जगह होती है। एक सामान्य आइसीएफ़ स्लीपर कोच में 72 बर्थ होती है, जबकि एलएचबी स्लीपर कोच में 80 बर्थ होती है।
इसी प्रकार आइसीएफ़ एसी-3 कोच में 64 बर्थ होती है। जबकि एलएचबी स्लीपर कोच में 72 बर्थ होती है तथा आइसीएफ़ एसी-2 कोच में 46 बर्थ होती है, जबकि एलएचबी स्लीपर कोच में 62 बर्थ होती है, जिससे इसके स्लीपर एवं एसी कोचों में अधिक बर्थ की सुविधा उपलब्ध कराकर रेल यात्रियों को अधिक से अधिक कन्फर्म बर्थ की सुविधा प्रदान करने में भी सहायता मिलती है।