कांग्रेस ने बंद ट्रेनों के परिचालन के लिए जीएम को सात दिनों की दी मोहलत
जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय ने कहा - जिन स्टेशनों पर बंद है ट्रेनें वहां बोलेंगे हल्ला ,इसके बाद भी बात नहीं बनी तब
By Yogeshwar Sharma
Edited By: Yogeshwar Sharma
Publish Date: Fri, 29 Apr 2022 10:38:22 AM (IST)
Updated Date: Fri, 29 Apr 2022 10:38:22 AM (IST)

बिलासपुर। बंद ट्रेनों का परिचालन प्रारंभ कराने का लेकर सत्ताधारी दल द्वारा रेलवे प्रशासन पर लगातार दबाव बनाया जा रहा है। इसी कड़ी में गुस्र्वार को जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय केशरवानी ने दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के महाप्रबंधक को सात दिनों की मोहलत देते हुए ट्रेनों का परिचालन प्रारंभ कराने कहा है। मोहलत खत्म होने के बाद भी ट्रेनों का परिचालन प्रारंभ नहीं हुआ तो उन स्टेशनों में जहां ट्रेनें स्र्का करती थी हल्ला बोलेंगे। इसके बाद भी ट्रेनों का परिचालन प्रारंभ नहीं हुआ तो जोन कार्यालय का घेराव करेंगे। फिर भी बात नहीं बनी तब रेल रोक आंदोलन करेंगे।
जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय केशरवानी कांग्रेस भवन में अपने ब्लाक अध्यक्षों के पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे। बातचीत के दौरान उन्होंने रेल मंत्रालय और केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि कोरोना संक्रमण के बहाने रेलवे ने उन ट्रेनों का परिचालन बंद कर दिया है जो ग्रामीण आजीविका का सबसे बड़ा जरिया हुआ करता था। दूध से लेकर सब्जी उत्पादक किसान छोटे स्टेशनों से शहर आते थे। दूध व सब्जी सहित अन्य उत्पाद बेचकर वापस ट्रेन के जरिए अपना घर पहुंच जाया करते थे। रेलवे ने आजीविका के सबसे बड़ा जरिए छीन लिया है। इससे लोगों की परेशानी बढ़ गई है। ट्रेनों के परिचालन के लिए सभी छोटे स्टेशनों पर कांग्रेस के पदाधिकारी व संबंधित गांव के ग्रामीणों की मौजूदगी में स्टेशन मास्टर को जीएम के नाम ज्ञापन सौपेंगे। सात दिन की मोहलत देंगे। इसके बाद भी बात नहीं बनी तो रेल रोको आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे। इसकी पूरी जिम्मेदारी रेलवे प्रशासन की होगी।
विजय ने कहा कि भारतीय रेल्वे के द्वारा कोरोना संक्रमण की आड़ में बहुत सारी जनसुविधाएं या तो कम कर दी गई थी या फिर उन्हें बंद कर दिया गया था। परंतु अभी हाल में सभी यात्री गाड़ियों को सामान्य रूप से चलाने के निर्णय के साथ-साथ जन विरोधी फैसला रेल मंत्रालय ने किया है। जिसके तहत विभिन्न् यात्री ट्रेनों के चार हजार से अधिक स्टापेज बिना किसी कारण समाप्त कर दिया गया है। इन ट्रेनों में बिलासपुर और पेंड्रारोड के बीच करगीरोड, बेलगहना आदि कई स्टेशनों पर खड़ी होती थी। ट्रेनों के द्वारा गांवों और छोटे कस्बो से शहरों को फल, सब्जी, दुध आदि की आपूर्ति होती है। ऐसे स्टेशनों का स्टापेज खत्म किये जाने के कारण सड़क मार्ग के जरिए शहर आना पड़ रहा है। इससे आर्थिक रूप से नुकसान उठाना पड़ रहा है। विजय केशरवानी ने कहा कि यह संविधान के अनुछेद 19 (एफ) (डी) के भी उल्लंघन है।
कोरोना काल के पहले यहां 18 पैसेंजर और एक्सप्रेस गाड़ियंा रूका करती थी। परंतु अब दो मेमू लोकल ट्रेन के अलावा कोई भी ट्रेन नहीं रूक रही है। पूरा का पूरा कोटा शहर कई दिनों से इसके खिलाफ जनसंघर्ष समिति आंदोलन कर रही है। परंतु अभी तक रेल्वे के द्वारा पुराने स्टापेज बहाल नहीं किया गया है। इसी तरह बिल्हा तहसील मुख्यालय और विधानसभा मुख्यालय है जहां कई ट्रेनों के स्टॉपेज समाप्त कर दिये गये है। जिलाध्यक्ष विजय ने आरोप लगाया है कि रेलवे ने एक झटके में देश में चार हजार से अधिक स्टापेज समाप्त कर दिया है। यह जनविरोधी निर्णय है।
ट्रेन के डिब्बे बिलासपुर यार्ड में घंटों खड़े रहता है
जगन्न्ाथ पूरी से ऋषिकेश के बीच चलने वाली उत्कल एक्सप्रेस से कई स्टापेज बंद कर दिये गये है परंतु उसका यात्रा समय लगभग उतना ही है। इसी तरह इंदौर बिलासपुर ट्रेन के कई स्टॅपेज बंद करने के बावजूद ट्रेन के डिब्बे तकरीबन 20 घंटे बिलासपुर यार्ड में ही खड़ा रहता है। भारतीय रेल्वे के द्वारा लिये गये इस फैसले को अविलम्ब वापस लिया जाये और कोरोना काल के पूर्व की तरह सभी एक्सप्रेस और पैसेंजर ट्रेनों के स्टापेज यथावत बहाल करने की मांग की है।
बीते दो साल से 87 ट्रेनों का परिचालन है बंद
जोन की 353 ट्रेनों में वर्तमान में रद की गई ट्रेनों को मिलाकर करीब 109 ट्रेनें फिलहाल बंद हैं। इसमें 87 ट्रेनें बीते दो साल से बंद पडी हुई है। जिन्हें आजतलक शुरू नहीं किया गया है। रेलवे की इस मनमानी का खामियाजा अब रेल यात्रियों को उठाना पड़ रहा है। त्योहारी सीजन के बीच ट्रेनों के रद होने से रेल यात्री तो परेशान हैं ही, इससे जुड़कर जीविकोपार्जन करने वालों पर भी इसका सीधा असर पड़ रहा है।