
बिलासपुर। कोरोना की तीसरी लहर ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट सहित प्रदेश के विभिन्न न्यायालयों में ओपन कोर्ट में सुनवाई बन्द है। इससे वकीलों की परेशानी एक बार फिर बढ़ गई है। जिला व अन्य अधीनस्थ न्यायालयों में वकालत करने वाले वकीलों की परेशानी कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है। कोर्ट बन्द होने के कारण पक्षकार भी नहीं आ रहे हैं। इसके चलते वकीलों को फीस भी नहीं मिल पा रही है। कोर्ट परिसर में सन्नाटा पसरा हुआ है। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में वर्तमान में वर्चुअल सुनवाई हो रही है। वकीलों के पेशे से जुड़े अन्य लोगो को भी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है।
इसे देखते हुए वकीलों ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस एके गोस्वामी को पत्र लिखकर कोविड प्रोटोकॉल के तहत ओपन कोर्ट में नियमित सुनवाई की मांग की है। चीफ जस्टिस को लिखे पत्र में वकीलों ने कहा है कि जिला न्यायालयों में सुनवाई बन्द होने से पेंडेंसी लगातार बढ़ रही है। किसी भी मामले में सुनवाई नही हो रही है। कोर्ट बन्द होने का असर चौतरफा हो रहा है। पक्षकार और वकील के अलावा ऐसे भी लोग हैं जो न्यायालय के कामकाज से सीधेतौर पर जुड़े हुए हैं। वकीलों के बाबुओं के अलावा, टायपिस्ट, कम्प्यूटर सेंटर सहित इन व्यवसाय से जुड़े लोग भी प्रभावित हो रहे हैं। इनके सामने भी आर्थिक संकट की स्थिति है।
सुनवाई के दे रहे तारीख
कोर्ट बन्द होने के कारण सुनवाई की तिथि लगातार बढाई जा रही है। पेशी देकर मामले को आगे बढ़ा रहे हैं।
मुख्यद्वार पर ताला, प्रवेश प्रतिबंध
कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए एतिहात के तौर पर जिला न्यायालयों के मुख्यद्वार पर ताला लगा दिया गया है। जिनके मामलों की सुनवाई हो रही है पक्षकार,अपीलार्थी और वकील को ही कोर्ट में प्रवेश की अनुमति दी जा रही है।
वैक्सीन का दोनों डोज
कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए अधिकांश वकीलों ने वैक्सीन का दोनों डोज लगवा लिया है।
हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान आर्थिक संकट से गुजर रहे वकीलों को मदद देने की मांग को लेकर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। बार कौंसिल आफ इंडिया ने स्टेट बार कौंसिल को 45 लाख रुपये जारी किया था। राज्य अधिवक्ता परिषद ने जरूरतमंद वकीलों को आर्थिक मदद पहुंचाई थी।