बिलासपुर। Bilaspur News: लोकतंत्र रक्षामंच के बैनर तले पदाधिकारियों ने राष्ट्रपति व पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। पदाधिकारियों ने कहा कि बंगाल में समूह विशेष पर लगातार हो रही हिंसा,लूट और हत्याओं पर कठोर कार्रवाई व पीड़ितों के साथ न्याय की गुहार लगाई है। लोकतंत्र रक्षा मंच के जिला संयोजक डा.प्रफुल्ल शर्मा के अगुवाई में पदाधिकारियों ने शुक्रवार को राष्ट्रपति व पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के नाम सौंपे ज्ञापन में विधानसभा चुनाव के बाद पश्चिम बंगाल की घटनाआंे की विस्तार से जानकारी दी है।
इसमें कहा है कि हम छत्तीसगढ़ के नागरिक बीते कुछ समय से पश्चिम बंगाल में घट रही घटनाओं से व्यथित हैं। इस माह के पहले सप्ताह की दूसरी तारीख को देश के चार राज्य और एक केंद्रशासित प्रदेश में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजे सामने आए। नतीजों के आने के बाद बाकी प्रांतों में तो स्थितियां सामान्य रही लेकिन पश्चिम बंगाल से मन को व्याकुल कर देने की खबरें सामने आई। विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद जिस तरह से हिंसा बेकाबू होते चली गई वह आज भी जारी है।
मीडिया की रिपोर्ट, स्थानीय नेताओं के बयान और पश्चिम बंगाल के नागरिकों ने इस हिंसा के लिए राज्य के सत्ताधारी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं पर आरोप लगाया है। यह भी आरोप लगा है कि राज्य के सत्ताधारी पार्टी के कार्यकर्ताओं को उनके उच्च नेतृत्व कर्ताओं से समर्थन भी प्राप्त है। भारत एक लोकतांत्रिक गणराज्य है। आप संविधान के रक्षक हैं और इसी संविधान ने पश्चिम बंगाल के निवासियों को भारत के नागरिक होने नाते लोकतांत्रिक रूप से अपने मताधिकार का उपयोग करने की स्वतंत्रता दी है। इसी अधिकार का उपयोग करते हुए पश्चिम बंगाल के ग्रामीण मतदाताओं, अन्य राजनीतिक दलों के समर्थकों एवं तटस्थ लोगों ने अपना मतदान किया।
लेकिन ऐसी खबरें एवं सूचनाएं सामने आई है कि राज्य में सिर्फ अपने मताधिकार का लोकतांत्रिक रूप से उपयोग करने की वजह से वहां के निवासियों के साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा है। इस बात की पुष्टि की है कि राज्य के निवासियों को अपने मताधिकार का प्रयोग करने की वजह से प्रताड़ित किया जा रहा है एवं उनकी हत्याएं की जा रही है।
घटनाओं की दी जानकारी
चुनाव परिणाम आने के तत्काल बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को हराने वाले सुवेंदु अधिकारी के वाहनमें हमले से हिंसा की शुरुआत हुई। इसके बाद जमालपुर विधानसभा क्षेत्र में हत्या की घटना सामने आई। रैना विधानसभा क्षेत्र में गणेश मलिक नामक राजनीतिक कार्यकर्ता की हत्या की गई। गलसी विधानसभा क्षेत्र में विपक्षी पार्टी से जुड़े कार्यकर्ताओं के घरों एवं दुकानों में तोड़फोड़ की गई।
पुरबास्थली उत्तर में विपक्षी पार्टी के उम्मीदवार डॉगोवर्धन दास को उनके घर के बाहर चारों ओर से घेर लिया गया। कटवा क्षेत्र में एक बूथ कार्यकर्ता के घर को तोड़ा गया। बुर्दवान उत्तर में स्थानीय राजनीतिक कार्यकर्ताओं के साथ-साथ विपक्षी पार्टी भाजपा के कार्यालय पर बम फेंके गए। मनिकोटला क्षेत्र में एक विपक्षी कार्यकर्ता की हत्या की गई।
शर्मसार करने वाली घटनाएं भी हुई
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनावों में अपने विचार एवं इच्छा से मत देने की वजह से महिलाओं एवं युवतियों के साथ भी दुर्व्यवहार की घटना सामने आई है। राष्ट्रीय महिला आयोग ने महिलाओं के साथ हुए घटनाओं पर संज्ञान भी लिया है जिसमें कुछ युवतियों के साथ सामूहिक दुष्कर्म एवं छेड़छाड़ की बातें रिपोर्ट के माध्यम से आमने आई है। नानूर एवं पिंगला क्षेत्र से दुष्कर्म एवं हत्या की रिपोर्ट भी देखने को मिली है। इन सभी घटना के आरोपियों के रूप में राज्य के सत्ताधारी दल से जुड़े कार्यकर्ताओं की पहचान की गई है एवं चश्मदीदों एवं पीड़ितों ने भी उनपर आरोप लगाया है।
इस तरह की जताई आशंका
देश के विभाजन के समय और जम्मू एवं कश्मीर में 1990 के दशक में हिंसा से जान बचाने के लिए बड़े स्तर पर पलायन हुआ था। वर्तमान में एक बार फिर पश्चिम बंगाल के एक वर्ग का बड़े स्तर पर पलायन देखा जा रहा है। विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद जिस तरह से एक वर्ग, एक विचारधारा, एक संगठन, एक समुदाय से जुड़े लोगों को निशाना बनाया जा रहा है उससे भयभीत होकर ग्रामीण अपना घर, अपने सामान अपनी मातृभूमि छोड़कर असम के सीमावर्ती क्षेत्र के शिविर में रहने को विवश हैं।
इनके मन में यह भय है कि यदि वे वापस अपनी मातृभूमि लौटे तो उन्हें दोबारा हिंसा एवं प्रताड़ना झेलना पड़ सकता है। ये सभी वो लोग हैं जिन्होंने भारत की प्रजातांत्रिक व्यवस्था को जीवित रखने के लिए अपने परिवारजनों, अपने संपत्तियों को न्यौछावर करने के साथ साथ अपने जीवन को भी खतरे में डाला है।