बिलासपुर। Devshayani Ekadashi 2021: आषाढ़ शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी पर 20 जुलाई को चातुर्मास की शुरुआत होगी। इस मौके पर शहर के मंदिरों में भगवान विष्णु की सुबह से ही दुग्धाभिषेक, यथोपचार पूजन के साथ महाआरती होगी। भगवान के सिंहासन को सुंदर गद्दे, तकिए से सुसज्जित कर कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी के लिए शयन कराया जाएगा। इसके साथ ही चार महीने की इस अवधि में धार्मिक कार्यों पर अधिक ध्यान दिया जाएगा और मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाएगी।
हिंदू धर्म में आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की इस एकादशी का विशेष महत्व है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन से भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं। चार महीने बाद यानी देवप्रबोधिनी एकादशी के दिन जो कि कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को पड़ती है, उसी दिन जागते हैं। राधाकृष्ण मंदिर शंकर नगर के पुजारी पं. रमेश तिवारी के अनुसार देवशयनी एकादशी के दिन से कोई भी शुभ कार्य विवाह व धर्म से संबंधित अन्य संस्कार करने की मनाही रहती है।
इस दिन संन्यास आश्रम ग्रहण कर चुके लोगों का चातुर्मास व्रत भी शुरू हो जाता है। पौराणिक मान्यता है कि चातुर्मास भगवान विष्णु के शयनकाल होता है। देवशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाएंगे। इसके बाद वे 15 नवंबर को कार्तिक महीने की एकादशी पर वे योग निद्रा से जागेंगे।
इसके साथ ही वैवाहिक और मांगलिक कार्य भी इसी दिन से शुरू हो जाएंगे। शहर के विभिन्न मंदिरों में चातुर्मास के अवसर पर अलग- अलग प्रकार के धार्मिक आयोजन और अनुष्ठान के साथ ही पूजन, भजन- कीर्तन आदि होंगे। इनकी तैयारियां भी उन्होंने शुरू कर दी है।