Bilaspur News: सिकलसेल की बीमारी को जड़ से खत्म करने डाक्टर देंगे सलाह
सिकलसेल की बीमारी खासकर अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक व गरीब तबकों में अधिक होती है। सिकलसेल एक अनुवांशिक बीमारी है।
By Narayan Kr Noniya
Edited By: Manoj Kumar Tiwari
Publish Date: Thu, 11 Jan 2024 07:14:03 AM (IST)
Updated Date: Thu, 11 Jan 2024 07:14:03 AM (IST)
विशेषज्ञ डाक्टरों की टीम मरीजों का करेंगी जांच। बिलासपुर(नईदुनिया प्रतिनिधि)। सिकलसेल जैसी गंभीर व जानलेवा बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए विशेषज्ञ डाक्टर मुफ्त में सलाह देंगे। इसके लिए 14 जनवरी को शोभा टाह फाउंडेशन के तत्वावधान में विशाल सिकलसेल शिविर का आयोजन जगन्नाथ मंगलम शिव टाकीज रोड में किया जा रहा है। विशेषज्ञ डाक्टरों की टीम मरीजों की जांच करेंगे साथ ही दवाई भी देंगे।
सुबह 10 बजे से शाम पांच बजे तक चलने वाले इस कैम्प में गौर बोस मेमोरियल सिकल केयर सेंटर, सिहारे चिल्ड्रन हास्पिटल, डा. प्रदीप पात्रा, सीएसआईआर रायपुर के विशेषज्ञ व टेक्नीशियनों की सहायता से सिकलसेल के मरीजों की पहचान कर इलाज किया जाएगा। समाजसेवी अनिल टाह ने बताया कि पिछले सत्रह वर्षों से शोभा टाह फाउंडेशन के जरिए प्रति वर्ष निश्शुल्क स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया जा रहा है।
शिविर में हजारों मरीजों को विशेषज्ञों द्वारा निश्शुल्क स्वास्थ्य परामर्श, नेत्र परीक्षणकर, चश्मा वितरण, हियरिंग की मशीन, हेंडीकेप जनों को व्हीलचेयर व अन्य उपकरण बांटे जा चुके है। छत्तीसगढ में सिकलसेल की समस्या बढती ही जा रही है। इसके मरीजों को सही मार्गदर्शन, डायग्नोसिस और जरूरी परामर्श नहीं मिल रहा है। अब सिकल का नया इलाज काम्प्रीहेन्सिव केयर आ गया है, जिसके सहारे सिकलसेल के मरीज पहले से अधिक स्वस्थ रहकर बेहतर जिंदगी जी रहे हैं। शोभा टाह फाउंडेशन ने इस वर्ष सिकलसेल कैम्प का आयोजन किया है।
इस कैम्प में सिकलसेल की जांच निश्शुल्क में की जाएगी। पाजिटिव आने पर हीमोग्लोबिन इलेक्ट्रोफोरेसिस वहीं पर की जाएगी। इसके साथ ही जरूरी ब्लड टेस्ट करके मरीजों की विषेषज्ञों द्वारा निश्शुल्क दवा बांटी जाएगी। वर्ष कैम्प में जनरल मरीजों का इलाज नहीं होगा परंतु आंख की जांच व चश्मा वितरण जरूर होगा।
बहुत कम रहती है मरीजों की उम्र
डा. राजीव शिवहरे ने बताया कि मध्यभारत खासकर छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, उडीसा व विदर्भ में रक्त की अनुवांशिक बीमारी सिकलसेल अधिकता में पाई जाती है।
सिकलसेल की बीमारी खासकर अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक व गरीब तबकों में अधिक होती है। सिकलसेल एक अनुवांशिक बीमारी है, जिसमें रोगी के लाल रक्त कण आक्सीजन की कमी से हंसिए के आकार में बदल जाती है। अंग्रेजी में हंसिए को सिकलसेल कहते हैं। इसलिए सिकलसेल या सिकलिंग की बीमारी कहा जाता है। इन लाल रक्त कणों की उम्र बहुत कम होती है, ये पहले ही नष्ट हो जाती है। हंसिए के आकार लिए कण खून के प्रवाह में रुकावट पहुंचाती हैं।
सिकलसेल के मरीज को को हाथ पैर में दर्द, संक्रमण से लडने की क्षमता में कमी, फिर धीरे धीरे शरीर का हर अंग खराब होता जाता है। इस बीमारी में हाथ पैर में सूजन, खून की कमी, ज्यादा इंफेक्शन व लगातार कमजोरी बनी रहती है और पूरा परिवार ही डिस्टर्ब हो जाता है। साथ ही 15 से 20 की उम्र तक उसकी अकाल मृत्यु हो जाती है। प्राय बीमारी की पहचान नहीं हो पाती और होती भी है तो समुचित इलाज भी नहीं होता है।