Bilaspur: सदाबहार 'पाकड़', जिसका पतझड़ काल कभी नहीं
Bilaspur News: वट वृक्ष परिवार के इस सदस्य को पाकड़ के नाम से जाना जाता है।
By Yogeshwar Sharma
Edited By: Yogeshwar Sharma
Publish Date: Tue, 18 Jul 2023 10:57:32 AM (IST)
Updated Date: Tue, 18 Jul 2023 10:57:32 AM (IST)

Bilaspur News: सर्वाधिक पत्तियां, देता है सबसे ज्यादा आक्सीजन पर्यावरण प्रेमियों के लिए जरूरी खबर। पौधरोपण के लिए पहली बार ऐसा पौधा मिलने जा रहा है, जिसका पतझड़ काल नहीं होता। इसकी वजह से इसे सर्वाधिक पत्तियां और सर्वाधिक आक्सीजन देने वाले वृक्ष के रूप में पहचान मिल चुकी है।
वट वृक्ष परिवार के इस सदस्य को पाकड़ के नाम से जाना जाता है। शहर के बीटीसी कालेज आफ एग्री एंड रिसर्च स्टेशन में इसे लेकर शोध भी चल रहा है। पर्यावरण को लेकर जैसी स्थितियां बन रही हैं, उस अनुपात में हरियाली को लेकर चलती गतिविधियां नाकाफी ही मानी जा रही है। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों के बीच अच्छी खबर यह है कि वट वृक्ष परिवार का सदस्य पाकड़ हमारी सहायता के लिए आ चुका है।
देखना यह है कि आसान पहुंच के बाद पाकड़ को स्वीकार्यता कितनी मिलती है। लेकिन इतना तो तय है कि जिस तरह अपने गुणों के दम पर इसने वानिकी वैज्ञानिकों का ध्यान अपनी ओर खींचा है, वह आगे जाकर पर्यावरण प्रेमियों को भी अपनी और आकर्षित करेगा। बाक्स पाकड़ इसलिए है धाकड़ छत्तीसगढ़ की जलवायु के लिए मुफीद पाकड़ को इसलिए जुझारू या धाकड़ कहा जाता है क्योंकि इसमें सर्वाधिक संख्या में पत्तियां लगती हैं। इसकी वजह से यह बेहद घना होता है।
अपने इसी गुण की वजह से इसे सबसे ज्यादा आक्सीजन देने वाला वृक्ष माना जा रहा है। मालूम हो कि इसके पहले तक पीपल और वट वृक्ष ही इस श्रेणी में हैं। बाक्स इसके पत्ते नहीं गिरते पतझड़ के मौसम में अन्य दूसरे पेड़ों की तरह पाकड़, पत्तियां विहिन नहीं होता। पुरानी पत्तियों का झड़ना और नई पत्तियों का निकलना, दोनों प्रक्रिया समान रूप से चलने की वजह से इसे इस मौसम से दूर माना गया है। सतत प्रक्रिया की वजह से पाकड़ ही एकमात्र ऐसा पेड़ है, जो गर्मी के मौसम में भी घनी और ठंडी छांव देता है।
नमी में जल्द तैयार पाकड़ के लिए वैसे तो छत्तीसगढ़ की जलवायु बेहद मुफीद मानी गई है, लेकिन मानक मात्रा में नमी मिलने पर यह मिट्टी की हर प्रकृति में तैयार हो जाता है। हल्की बालूई व चिकनी मिट्टी बेहतर मानी गई है। उपलब्धता होने की स्थिति में पौधों का रोपण किया जा सकता है। विपरीत स्थितियों में शाखाओं से नए पौधे तैयार किए जा सकते हैं। कोमल अवस्था में इसकी पत्तियों से सब्जी भी बनाई जा सकती है।
छाल में मिले यह गुण
पाकड़ की छाल पर जब रिसर्च हुए तब इसमें कई तरह की बीमारियों पर नियंत्रण के गुण मिले। इसके अनुसार छाल का काढ़ा पीने से रक्त स्राव की दिक्कत दूर की जा सकती है। मधुमेह पर पूरा नियंत्रण रखा जा सकता है। छाल को उबाल कर उसके पानी से नहाने पर पसीने की दुर्गंध से छुटकारा मिलता है। पाउडर बनाकर सेवन करने से त्वचा की जलन कम की जा सकती है, तो पित्त और वायु रोग भी कम होते हैं।
इन का कहना है
पाकड़ जुझारू पेड़ होता है। इसकी शाखाएं भी पनप जाती हैं। इसका पेड़ घना होने के बाद शीतल छाया देता है। अधिक उम्र तक जीवित रहने, अधिक पत्तियों और सबसे छोटा पतझड़ काल होने के कारण पाकड़ में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया हमेशा होती है। इससे आक्सीजन का उत्सर्जन अधिक होता है। - अजीत विलियम्स, विज्ञानी (वानिकी) बीटीसी कालेज आफ एग्री एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर