
नईदुनिया प्रतिनिधि, बिलासपुर: जूना में साव धर्मशाला के पास पुत्री शाला प्राथमिक स्कूल में शिक्षा विभाग की अव्यवस्था स्पष्ट दिखाई देती है। इसी छोटे भवन में प्राथमिक, मिडिल, हाई स्कूल, नागोराव शेष स्कूल और कुम्हारपारा स्कूल संचालित किए जा रहे हैं। नौ कमरों की इस सीमित जगह में सैकड़ों बच्चे ठूंसे गए हैं, जहां न तो कक्षाएं पर्याप्त हैं, न खेल का मैदान या जरूरी सुविधाएं हैं।
स्कूल की व्यवस्था पर स्कूल कर्मियों से बात करने पर उन्होंने कुछ भी विचार प्रकट करने से इनकार कर दिया। संतोष यादव के अनुसार, बच्चों को पढ़ने-बैठने की तक जगह नहीं है। "ऐसी स्थिति में बच्चे मनोवैज्ञानिक और शारीरिक रूप से प्रभावित हो रहे हैं। प्रशासन केवल खानापूरी कर रहा है," उन्होंने यह मांग की है कि या तो स्कूल के कमरे बढ़ाए जाएं या फिर अन्य सर्व सुविधा युक्त भवन खोले जाने की व्यवस्था की जाए।
स्थानीय वरिष्ठ नागरिक रजनीश दुबे का मानना है कि स्थान की कमी के कारण उचित शिक्षण संभव नहीं है। बच्चों में सीखने की रुचि और क्षमता दोनों प्रभावित हो रही हैं। पढ़ाई, खेल, अनुशासन और संस्कार- सब पर उल्टा असर पड़ रहा है। यहा तक कि विभिन्न कक्षाओं में पढ़ने वालों बच्चों की उपस्थिति कुछ और है और दर्ज संख्या कुछ और है।
शिक्षा विभाग द्वारा इन विकट समस्याओं की अनदेखी चिंता का विषय है। कई बार शिकायतों के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। शिक्षा का अधिकार और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा यहां सिर्फ कागजों तक सीमित हैं। पालकों में इसके विरुद्ध रोष व्याप्त है।
यह भी पढ़ें- SIR के लिए बीएलओ आपसे नहीं मांगता OTP... चुनाव आयोग ने ऑनलाइन ठगी को लेकर लोगों को किया सतर्क
इस स्कूल में न तो खेल मैदान है और न अन्य कोई सुविधा। स्कूल में मात्र नौ कमरे हैं उनमें भी तीन कमरे ऑफिस कार्यालय के रूप में इस्तेमाल किए जाते हैं। एक कमरे में मध्यान्ह भोजन और स्टोर रूम है। बचे पांच कमरों में तीन स्कूल के छात्र कहां-कहां बैठते होंगे और कैसे पढ़ाई होती होगी यह तो अपने आप में विचारणीय पहलू है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि एक ही कक्ष में तीन-तीन कक्षाओं के छात्रों को बैठा दिया जाता है और पढ़ाया जाता है। एक ही कक्ष में अलग-अलग कक्षाओं के छात्रों को कैसे पढ़ाया जा रहा होगा। यह स्थिति शिक्षण व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लगा रहा है।