बिलासपुर(नईदुनिया प्रतिनिधि)। गुस्र्वार की सुबह से शुरू हुआ दुर्गा विसर्जन का क्रम इस बार शुक्रवार की सुबह 11 बजे तक चला। इस बार विसर्जन झांकियों व मां दुर्गा के मनोहारी स्वरूप को देखने के लिए भक्तों का उत्साह देखते ही बन रहा था। इसी वजह से अल सुबह तक खत्म हो जाने वाला दुर्गा विसर्जन का दौर पहली बार सुबह 11 बजे तक चला। खास बात यह कि इस बार शाम से सड़कों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी थी। यह स्थिति विसर्जन के अंत तक बनी रही। सिम्स से विसर्जन स्थल पचरी घाट तक लोगों को पैर रखने की जगह तक नहीं मिल रही थी। एक तरह विसर्जन की इस परंपरा ने भव्य रूप धारण कर लिया।
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— NaiDunia (@Nai_Dunia) October 7, 2022
गुस्र्वार की सुबह से ही शहर में मां दुर्गा के विसर्जन का दौर शुरू हो गया था। झांकियों का प्रदर्शन करने वाली समितियां डीजे, ढोल-तासे और बैंड के साथ विसर्जन करती रहीं। इसकी वजह से सुबह से ही शहर का माहौल भक्तिमय हो गया था। शाम होने पर शहर की बड़ी दुर्गा उत्सव समितियां अपनी मनमोहक झाकियां लेकर सिम्स चौक पहुंचने लगीं। रात 11 बजे से विसर्जन झांकियों का प्रदर्शन शुरू किया गया। सिम्स चौक से पचरी घाट तक पहले से ही बड़ी संख्या में लोग खड़े थे।
वे मनमोहक झांकी व मां के मनमोहक शक्तिमय रूप का दर्शन करने का इंतजार कर रहे थे। जैसे-जैसे रात होती रही, वैसे-वैसे ही सड़कों में भक्तों की संख्या भी बढ़ने लगी। रात दो बजे तक आलम यह हो गया था कि लोगों को सड़क पर खड़े होने तक की जगह नहीं मिल पा रही थी। इसके बाद भी विसर्जन उत्सव के लिए गजब का उत्साह देखने को मिला। इसकी वजह से झांकियों की चाल भी धीमी हो गई। ऐसे में विसर्जन स्थल पहुंचने में समितियों को ज्यादा समय लगा। फलस्वरूप सुबह पांच बजे तक खत्म हो जाने वाला विसर्जन पहली बार सुबह 11 बजे तक चला। रातजगा करने के बाद भी भक्तों के उत्साह में कमी नहीं आई और सभी सुबह 11 बजे तक मनमोहक झांकियां व मां के दर्शन के लिए डटे रहे।
जगह-जगह मंच स्थापित कर समितियों का सम्मान
दुर्गा विसर्जन भी अब शहर की पहचान बन चुका है। साल दर साल इसका रूप भी भव्य होता जा रहा है। ऐसे में तमाम दुर्गा उत्सव समितियों के उत्साहवर्धन का बीड़ा भी शहर के सामाजिक और व्यवसायिक संगठन उठाते हैं। ताकि इस विसर्जन परंपरा का निर्वहन इसी भव्यता से होता रहे। इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर संगठनों से जगह-जगह मंच स्थापित कर समिति के पदाधिकारियों का सम्मान किया।
फिल्मी गाने नहीं, मां के भक्ति गीतों पर थिरके
इस बार विसर्जन में यह भी देखने को मिला है कि समिति के सदस्य फिल्मों गानों में थिरकने के बजाय मां के भक्ती गीतों पर झूमते रहे। जगह-जगह विभिन्न् संगठनों द्वारा बनाए गए मंच से भी यह कहा जाता रहा है कि सिर्फ मां के गीत ही बजाएं, जिससे सभी में भक्ति का संचार होता रहे। इसका असर भी पड़ा और पूरी रात मां की गीतों में थिरकते हुए मां का विसर्जन विधि-विधान से किया गया।
पचरी घाट में रही विसर्जन की शानदार व्यवस्था
इस बार नगर निगम ने विसर्जन स्थल पचरी घाट में शानदार व्यवस्था की थी। इसके लिए क्रेन को लगाया गया था। कुंड में भी इतना पानी था कि मां कि प्रतिमाएं आसानी से डूब गई।। वहीं, तैरती प्रतिमाओं को भी निगम की टीम पानी में डुबाती रही। इसी तरह अन्य व्यवस्थाएं भी निगम की अच्छी थीं। ऐसे में किसी भी समिति को विसर्जन दिक्कत नहीं हुई।
डीजे व ढोल-तासे के साथ पारंपरिक वाद्य यंत्रों की रही धूम
युवाओं की पहली पसंद डीजे है। इसकी तेज आवाज में युवकों को थिरकना खासा पसंद आता है। लेकिन इसके बाद भी ढोल-तासे, बैंड के साथ पारंपरिक वाद्य यंत्रों ने खूब रंग जमाया। दर्शन के लिए पहुंचे भक्त भी इनकी धुन में जमकर नृत्य करते नजर आए।