नईदुनिया प्रतिनिधि ,बिलासपुर। घरों व पंडालों में 11 दिनों तक उत्सव के बाद बप्पा की विदाई एक भावुक व उल्लास भरे माहौल में हुई। अनंत चतुर्दशी पर मंगलवार को न्यायधानी में भगवान गणेश की प्रतिमाओं का विसर्जन धूमधाम से हुआ। भक्तों ने नम आंखों से बप्पा को विदा किया और अगली बार जल्दी आने की प्रार्थना की। गाजे-बाजे, ढोल-नगाड़ों और रंग-गुलाल की बौछार के बीच शहर के हर कोने में उत्सव का समां बंधा हुआ था।
अरपा नदी के तट पर श्रद्धालुओं की भीड़ सुबह से देर रात तक उमड़ती रही। बड़े-बड़े पंडालों से लेकर घरों में स्थापित गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन नदी के तट पर पूरे विधि-विधान के साथ किया गया। प्रमुख रूप अरपा नदी रपटा चौक, छठ घाट एवं कोनी के विभिन्न घाटो में हुआ। इसके अलावा आसपास तालाब एवं खूंटाघाट में भी विसर्जन हुआ। कुछ श्रद्धालुओं ने घरों में ही पर्यावरण की दृष्टि से टब का उपयोग कर विसर्जन किया। निगम ने शनिचरी स्थित रपटा के पास मूर्ति विसर्जन की व्यवस्था की थी। जिससे किसी भी प्रकार की अव्यवस्था या प्रदूषण से बचा जा सके।
विदा करते वक्त आंखें नम हो गईं
जब विसर्जन की बारी आई तो भक्तगण पूरे जोश के साथ घर से निकले। लेकिन, बप्पा को विदा करते वक्त आंखें नम हो गईं। अगले बरस तू जल्दी आ... की जयकारें गूंज रही थीं। इस भावुक पल के बीच भक्तों ने भगवान गणेश से आशीर्वाद मांगा और अगले साल फिर से उनकी कृपा की कामना की। बप्पा के प्रति प्रेम और श्रद्धा के कारण हर साल यह विदाई का पल भावनाओं से भरा होता है। इस वर्ष भी यह भावनात्मक लहर देखने को मिली। जहां हर कोई बप्पा को फिर से बुलाने की प्रतीक्षा करता दिखा।
बच्चों ने बप्पा को गले लगाया
विसर्जन को लेकर इस बार अरपा नदी के किनारे विसर्जन के लिए विशेष इंतजाम किए थे। अलग-अलग घाटों पर जलाशयों की व्यवस्था की गई थी। क्रेन भी उपलब्ध कराया गया था। इस बीच बच्चे बप्पा को गले लगाते नजर आए। महिलाएं भी पूरी सेवा में जुटी रही। यही वजह है कि उनके चेहरे पर भी विदाई का गम स्पष्ट नजर आ रहा था।
डीजे गायब...ढोल ताशा की धूम
एक ओर प्रशासन की सख्ती के कारण इस बार डीजे के साथ विदाई नहीं हुई लेकिन भक्तों का उल्लास भी बना रहा। अधिकांश समितियों ने ढोल और ताशा के साथ बप्पा को लेकर गए। उनका कहना था कि इस अगली बार बप्पा का और जोरदार स्वागत होगा। एक नए गीत संगीत के साथ मिलने का वादा भी किया।