बिलासपुर। Haritage of Bilaspur: लोरमी विधानसभा क्षेत्र के विधायक व जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के नेता धर्मजीत सिंह ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखकर बिलासपुर जिला मुख्यालय स्थित सिटी कोतवाली व तहसील कार्यालय भवन को तोड़ने के बजाय संरक्षित करने की मांग की है। विधायक ने कहा कि देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। इधर बिलासपुर जिला प्रशासन सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित रखने के बजाय नामोनिशान मिटा रहा है। छत्तीसगढ़ में स्वतंत्रता पूर्व की शासकीय इमारतों को संरक्षित करने और संवर्धन के लिए राज्य शासन आवश्यक दिशा निर्देश दे।
मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में विधायक धर्मजीत ने कहा है कि हमारा देश एक लोकतांत्रिक संवैधानिक तंत्र है। पूरे विश्व में इस तरह की सरकारों से अपेक्षा की जाती है कि वे अपनी सांस्कृतिक धरोहर और हैरिटेज का संरक्षण करेंगी। कुछ इसी तरह की अपेक्षा छत्तीसगढ़वासियों को भी है। बिलासपुर स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत स्वतंत्रता पूर्व निर्मित शासकीय भवन तहसील कार्यालय और पुलिस कोतवाली को तोड़कर नए भवन बनाने का निर्णय लिया गया है।
उक्त निर्णय सांस्कृतिक धरोहर और हैरिटेज को संरक्षित करने की अवधारणा के विपरीत है। यह और आश्चर्यजनक और आपत्तिजनक तथ्य है कि तहसील कार्यालय और पुलिस कोतवाली दोनों ही भवनों के प्रांगण में इतनी पर्याप्त भूमि मौजूद है कि बिना ऐतिहासिक भवन को तोड़े नए भवनों का निर्माण कर अपनी आवश्यकता पूरी की जा सकती है। इसे देखते हुए मेरा यह मानना है कि बिलासपुर तहसील कार्यालय और सिटी कोतवाली थाना दोनों ही भवनों में ना तोड़ा जाए और इन्हें संरक्षित किया जाए। वहीं रिक्त भूमि पर नए भवनों का निर्माण किया जाए।
प्रदेश में ऐतिहासिक इमारतों को किया जाए संरक्षित
विधायक धर्मजीत ने कहा है कि पूरे राज्य में ऐसी कई शासकीय इमारतें हैं जिनका निर्माण स्वतंत्रता पूर्व किया गया है। आज आजादी के 75 वें वर्ष के दौरान मेरी आपसे अपेक्षा है कि इन सभी इमारतों को संरक्षित करने के आवश्यक दिशा निर्देश सभी कलेक्टरों को दें। यह भी उल्लेखनीय है कि कांग्रेस पार्टी ने दिल्ली के सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर अपना विरोध इसी भावना के तहत दर्ज कराया है कि ऐतिहासिक शासकीय इमारतों को संरक्षित किया जाना चाहिए।