Health Tips: बिलासपुर(नईदुनिया प्रतिनिधि)। योग में भस्त्रिका प्राणायाम करने से शरीर के सभी अंगों में गर्मी पैदा हो जाती है। इससे शरीर को ऊर्जा भी मिलती है। अधिकांश लोगों को भस्त्रिका प्राणायाम के बारे में जानकारी नहीं होने के कारण इस आसान को नहीं करते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्राणायम को करने से शरीर में रक्त संचार सही तरीके से होता है।
इसके अलावा सूर्यभेदी प्राणायाम का अभ्यास करने से शरीर का तापमान बढ़ता है। इस क्रिया में दाहिने नाक के छिद्र से सांस भर कर बाएं से छोड़ते हैं। ऐसा करने से शरीर में गर्माहट पैदा होती है। इस प्राणायाम को कम से कम पांच मिनट करना चाहिए। इसी तरह अश्व चालन आसन का अभ्यास करना चाहिए। इसमें पैर के पंजे एवं हाथ की हथेलियों के सहारे सामने की ओर देखते हुए फूंफकार वाली गहरी सांस लेते और छोड़ते हुए चलना चाहिए। इस आसन का अभ्यास एक मिनट से अधिक नहीं करना चाहिए। इससे हाथ-पैर के तलवों और अंगुलियों की गलन ठीक होती है। इसी तरह षट्कर्म की क्रिया भस्त्रिका करना चाहिए।
इसमें लोहार की धौकनी की तरह लंबी और गहरी सांस तेजी से लेना और छोड़ना होता है। इससे शरीर के रोम-रोम में गर्मी पैदा होती है, जो ठंड के प्रकोप से रक्षा करती है। सूर्य भेदी प्राणायाम दाईं नासिका से करते हैं। दाईं नासिका सूर्य नाड़ी से जुड़ी होती है। इसे सूर्य स्वर कहते हैं। इसलिए इसका नाम सूर्यभेदी प्राणायाम है। इसके नियमित अभ्यास से शरीर के भीतर गर्मी उत्पन्न् होती है। इसका सर्दियों नियमित अभ्यास करना चाहिए। एक ही जगह पर तेजी से कदम चलाते हुए सांस लेना और छोड़ना चाहिए। ऐसा पांच से 15 मिनट तक करना चाहिए।
ये सावधानी बरतें
योग के आसन करने में कुछ सावधानी बरतने की जरूरत होती है। अगर किसी को उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) की समस्या है तो उसे इन आसनों को नहीं करना चाहिए। वह गहरी सांस लेकर छोड़ सकते हैं। ठंड में गुनगुने पानी का सेवन करें। केसर-कस्तूरी मिला गुनगुना पानी पीएं। गुड़ खाकर गुनगुना पानी भी पी सकते हैं। सोंठ और गुड़ मिश्रित लड्डू खाएं। ठंड से बचने को पीठ पर गर्म पानी की थैली रखें। इससे फेफड़े में ठंड नहीं लगती। नाक में तेल डाल सकते हैं। पेट साफ न होने से ठंड अधिक लगती है, इसलिए हरी सब्जी का सेवन करें।