High Court Bilaspur: वकील डा. निर्मल शुक्ला को बिलासपुर हाई कोर्ट से मिली राहत
High Court Bilaspur: बार कौंसिल की जांच समिति ने जारी किया था कारण बताओ नोटिस, कोर्ट ने कार्रवाई पर लगाई रोक।
By sandeep.yadav
Edited By: sandeep.yadav
Publish Date: Mon, 29 Mar 2021 09:40:00 AM (IST)
Updated Date: Mon, 29 Mar 2021 09:40:13 AM (IST)

बिलासपुर। High Court Bilaspur: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के सीनियर एडवोकेट डा.निर्मल शुक्ला को हाई कोर्ट के आदेश से राहत मिली है। जस्टिस गौतम भादुड़ी ने छत्तीसगढ़ स्टेट बार कौंसिल द्वारा गठित जांच समिति की कार्रवाई पर रोक लगाते हुए बार कौंसिल को जवाब पेश करने के लिए नोटिस जारी किया है।
वर्ष 2012 में एसईसीएल के तत्कालीन विधि अधिकारी ने वकील डा.शुक्ला के खिलाफ व्यावसायिक कदाचरण का आरोप लगाते हुए छत्तीसगढ़ स्टेट बार कौंसिल में आवेदन पेश किया था। मामले की गंभीरता को देखते हुए बार कौैंसिल ने इस प्रकरण को सामान्य सभा की बैठक में पेश करते हुए इस पर सदस्यों से रायशुमारी की थी। सामान्य सभा की बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित करते हुए उक्त प्रकरण को जांच समिति के हवाले करने का निर्णय लिया था।
सामान्य सभा की बैठक में लिए गए निर्णय के आधार पर राज्य अधिवक्ता परिषद ने डा. शुक्ला के खिलाफ शिकायतों की जांच का जिम्मा जांच समिति को सौंप दी थी। समिति ने डा. शुक्ला को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने कहा था। इस मामले की सुनवाई बीते आठ वर्षों से राज्य अधिवक्ता परिषद जांच समिति में लंबित था।
इसी बीच डा.शुक्ला ने अपने वकील के जरिए हाई कोर्ट में याचिका दायर कर जांच समिति द्वारा जारी नोटिस को चुनौती दी थी। साथ ही जांच पर रोक लगाने की मांग की थी। मामले की सुनवाई जस्टिस गौतम भादुड़ी की सिंगल बेंच में हुई। प्रकरण की सुनवाई के बाद जस्टिस भादुड़ी ने जांच समिति की कार्रवाई पर रोक लगा दी है। साथ ही राज्य अधिवक्ता परिषद को नोटिस जारी कर इस संबंध में अपना जवाब पेश करने कहा है।
क्या है मामला
एसईसीएल के एक प्रकरण में डा.निर्मल शुक्ला एसईसीएल की तरफ से वकील थे। हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर उन्होंने पैरवी की थी। एसईसीएल हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में मामला हार गया। इसके बाद एसईसीएल के विधि अधिकारी ने डा.शुक्ला के खिलाफ व्यावसायिक कदाचरण का आरोप लगाते हुए राज्य अधिवक्ता परिषद के समक्ष आवेदन पेश किया था। इसमें उन्होंने कहा है कि डा.शुक्ला ने एसईसीएल का पक्ष कोर्ट के समक्ष मजबूती के साथ पेश नहीं किया। बहस भी ठीक से नहीं की। इसके चलते एसईसीएल प्रबंधन को हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में हार का सामना करना पड़ा है।