नईदुनिया न्यूज, बिलासपुर। हाई कोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में नगर निगम और नगर पंचायत के अधिकारी व कर्मचारियों के लिए दोनों निकायों के बीच लक्ष्मण रेखा खींच दी है। हाई कोर्ट ने कहा कि राज्य शासन ने दोनों निकायों के लिए अधिनियम व शर्तें अलग-अलग तय की है। लिहाजा राज्य शासन को अपने बनाए निर्देशों व मापदंडों का पालन करना होगा। नगर निगम के अधिकारी व कर्मचारियों का सीधेतौर पर नगर पंचायत में ट्रांसफर करने का अधिकार राज्य शासन को नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर राज्य शासन को यह लगता है कि किसी काबिल इंजीनियर की जरूरत संबंधित नगर पंचायत या नगर निगम को है तो ऐसे अधिकारी व कर्मचारी को प्रतिनियुक्ति के आधार पर रखा जा सकता है।
राज्य शासन ने 21 अगस्त 2024 को एक आदेश जारी कर नगर निगम दुर्ग में कार्यरत भूपेंद्र गोइर सहायक ग्रेड तीन का स्थानांतरण नगर पंचायत देवकर कर दिया था। नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा किए गए तबादला आदेश को अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी थी। मामले की सुनवाई जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की सिंगल बेंच में हुई। मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने राज्य शासन द्वारा नगरीय निकायों के लिए तय किए गए मापदंड, नियुक्ति व सेवा शर्तों का हवाला देते हुए बताया कि नगर निगम,नगर पंचायत के अधिकारी कर्मचारियों के लिए राज्य शासन ने सेवा शर्त बनाने के लिए प्रविधान भी तय कर दिया है। तय मापदंडों के अनुसार नगर निगम के अधिकारी व कर्मचारी का स्थानांतरण नगर पंचायत में नहीं किया जा सकता। अधिवक्ता ने बताया कि याचिकाकर्ता के मामले में राज्य शासन ने अपने ही बनाए नियमों व मापदंडों का उल्लंघन कर दिया है। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा जारी तबादला आदेश पर रोक लगा दिया है। कोर्ट ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं।