बिलासपुर।Highcourt News Chhattisgarh: जल संसाधन विभाग के तत्कालीन कार्यपालन यंत्री आलोक अग्रवाल को राज्य शासन ने बहाल कर दिया है। आय से अधिक संपत्ति के मामले में एसीबी व ईओडब्ल्यू की कार्रवाई के बाद उनके खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय ने भी मामला दर्ज किया है। आपराधिक प्रकरण की सुनवाई में विलंब के चलते राज्य शासन ने आखिरकार छह साल बाद उनके निलंबन को बहाल कर दिया है।
जल संसाधन विभाग के खारंग परिक्षेत्र के कार्यपालन यंत्री आलोक अग्रवाल के खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो ने साल 2015 में मामला दर्ज किया था। इस दौरान उनके ठिकानों में छापेमारी भी की थी। आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले मेें एसीबी ने आलोक अग्रवाल, उनके भाई पवन अग्रवाल, पत्नी व माता-पिता के साथ ही पार्टनर अभिष स्वामी को भी आरोपित बनाया था।
जांच के दौरान एसीबी ने उनके करोड़ों स्र्पये की बेनामी संपत्ति को उजागर किया था। साथ ही उनके खिलाफ मनी लांड्रिंग का प्रकरण दर्ज करने के लिए प्रवर्तन निदेशालय से अनुशंसा की की थी। प्रवर्तन निदेशालय ने भी उनके खिलाफ मामला दर्ज कर उनकी संपत्ति को जब्त किया है। इस मामले में अग्रवाल लंबे समय तक जेल में रहे। मार्च 2021 में उन्हें हाई कोर्ट ने जमानत दे दी। इस दौरान राज्य शासन ने उन्हें निलंबित कर दिया था।
अभी उनका प्रकरण एसीबी कोर्ट में ट्रायल में है। इस बीच करीब छह साल तक उन्हें निलंबित रखा गया है। उनके मामले की सुनवाई में विलंब के चलते राज्य शासन ने उन्हें बहाल कर दिया है। अफसरों ने बताया कि उनकी ज्वाइनिंग रायपुर मुख्यालय में होगी। फिर बाद में पदस्थापना आदेश जारी किया जाएगा।
एसीबी अफसरों के खिलाफ दर्ज कराया आपराधिक प्रकरण
आलोक अग्रवाल के भाई पवन अग्रवाल ने इस पूरी कार्रवाई को षड़यंत्र बताते हुए जिला न्यायालय में परिवाद दायर किया था। उन्होंने इस षड़यंत्र व दुर्भावनापूर्वक कार्रवाई के संबंध में महत्वपूर्ण तथ्य प्रस्तुत करते हुए पद का दुस्र्पयोग करने वाले एसीबी चीफ आइपीएस मुकेश गुप्ता, एसपी रजनेश सिंह सहित अन्य अफसरों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की मांग की थी।
कोर्ट ने उनके परिवाद को स्वीकार करते हुए आपराधिक प्रकरण दर्ज कर जांच के आदेश दिए। इस पर सिविल लाइन पुलिस में आरोपित अफसरों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किया गया है। हालाकि, इस मामले को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। फिलहाल हाई कोर्ट ने इस मामले में स्थगन आदेश जारी किया है।