बिलासपुर। History of Kalchuri Period Temples: डा. सीवी रामन विश्वविद्यालय में सामाजिक विज्ञान विभाग के इतिहास एवं कला संस्कृति विभाग द्वारा छत्तीसगढ़ के कल्चुरी कालीन मंदिरों की स्थापत्य कला एवं अर्थशास्त्र विभाग द्वारा अर्थशास्त्र में पर्यावरणीय नैतिकता विषय पर वेबिनार आयोजित किया गया । वेबिनार आइक्यूएसी के संयुक्त तत्वाधान में हुआ। इसमें अतिथि वक्ताओं ने छत्तीसगढ़ के कल्चुरी कालीन मंदिरों के स्थापत्य कला पर इतिहास से लेकर वर्तमान महत्व को बताया। इसी तरह अर्थशास्त्र में पर्यावरण का पर्यावरणीय नैतिकता का कितना महत्व है, इस बात पर भी अतिथि वक्ताओं ने अपनी बात रखी।
इस दौरान मुख्य वक्ता उत्तर प्रदेश चरखरी शासकीय महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक डाक्टर आनंद गोस्वामी ने कल्चुरी कालीन मंदिरों के संबंध में अनेक अनछुए पहलुओं से अवगत कराया। साथ ही उन्होंने कल्चुरी कालीन राजवंशों की विस्तृत जानकारी भी दी। विशिष्ट वक्ता मगध यूनिवर्सिटी बिहार के इतिहास विभाग के सहायक प्राध्यापक डाक्टर सचिन मंदिलवार ने कल्चुरी कालीन राजवंशों की चर्चा करते हुए छत्तीसगढ़ के विभिन्ना क्षेत्रों में स्थापित मंदिरों तथा उसके निर्माण शैली पर जानकारी दी।
वहीं महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय इंदौर के प्राध्यापक डा. शिव वर्मा ने मंदिर निर्माण के दौरान वास्तु संरचना एवं उनके सिद्धांतों व पर अपनी बात रखी। अर्थशास्त्र में पर्यावरणीय नैतिकता विषय पर वेबिनार में मुख्य वक्ता शंकराचार्य महाविद्यालय भिलाई की डायरेक्टर रक्षा सिंह ने पर्यावरण में सुधार के लिए नैतिकता के साथ की बात कही। उन्होंने ईईई की अवधारणा को स्थापित करने की बात कही।
साथ ही सामाजिक अर्थशास्त्र के साथ संपोषय विकास पर विस्तार से जानकारी दी। कार्यक्रम में इग्नू की रीजनल डायरेक्टर डाक्टर स्मृति गार्गव ने आपदा प्रबंधन पर विस्तार और इसके व्यावहारिक दि-तों पर समाधान के बारे में बताया। इस अवसर पर डा. वेद प्रकाश मिश्र, प्रतिमा बैस, डा. राकेश कुमार गुप्ता, डा. शुचि शर्मा, डा. संध्या जायसवाल, डा. संगीता सिंह ,डा. राम रतन साहू ,डा. रीना तिवारी, डा. रिचा यादव, डा. महेश शुक्ला, डा. मंजू साहू आदि उपस्थित रहे।
वैदिक कालीन संस्कृति ही पर्यावरण प्रदूषण का हल: कुलपति
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रवि प्रकाश दुबे ने कहा कि वैदिक कालीन संस्कृति ही पर्यावरण की समस्त समस्याओं का हल है। उन्होंने बताया कि हमारी परंपराएं प्रकृति के साथ जीवन जीने की है, लेकिन विकास की अंधी दौड़ में हम प्रकृति को नुकसान पहुंचाते हैं। यहीं कारण हैं कि आज हमें इस समस्या के लिए समाधान के रास्ते ढूंढने पर रहे हैं । उन्होंने अक्षय ऊर्जा सौर ऊर्जा सहित अनेक पर्यावरण के माध्यमों पर अपनी बात विस्तार से रखी।
युवा पीढ़ी को इतिहास की जानकारी जरूरी: कुलसचिव
विश्वविद्यालय के कुलसचिव गौरव शुक्ला ने कहा कि छत्तीसगढ़ी कल्चुरी काल का बड़ा राजनीतिक इतिहास रहा है। इसके साथ-साथ रतनपुर सहित पूरे अंचल में कलचुरी वंश की स्थापत्य कला से तैयार मंदिरों व अन्य भवनों का गौरवशाली इतिहास है। आज युवाओं को इस इतिहास को जानने, समझने की जरूरत है। यहीं कारण है कि विश्वविद्यालय में भी लोक कला संस्कृति के इतिहास के लिए लगातार बड़े आयोजन किए जाते हैं।