Holi Festival 2023: होली हे...चाइना से नहीं अब गांव से आने लगा रंग-गुलाल
Holi 2023: स्व-सहायता समूह की महिलाएं भी तैयार कर रही हर्बल गुलाल
By Manoj Kumar Tiwari
Edited By: Manoj Kumar Tiwari
Publish Date: Sat, 04 Mar 2023 03:45:48 PM (IST)
Updated Date: Sat, 04 Mar 2023 03:45:48 PM (IST)

बिलासपुर। होली को लेकर बाजार सज चुका है। अच्छी खबर यह है कि इस बार न्यायधानी में चाइना का रसायनिक रंग नहीं बल्कि गांव-गांव से हर्बल रंग-गुलाल आने लगा है। बड़ी संख्या में स्व-सहायता समूह की महिलाएं इसे तैयार कर रही है। जिसके कारण बाजार में लोकल प्रोडक्ट की मांग भी अधिक होने लगी है।
शहर में होली का माहौल शुरू हो चुका है। बाजार में रंग-बिरंगी पिचकारी और हर्बल रंग गुलाल की चमक बिखरी हुई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के होली बाजार में वोकल फार लोकल को बढ़ावा देने की बात इस साल और भी जमकर प्रचार हो रही है।
इस बार होली बाजार से चाइना पिचकारी व अन्य चाइना सामान आउट आफ मार्केट हो गया है। बाजार में रौनक बढ़ गई है। कोरोना संक्रमण के कारण पिछले तीन साल होली का बाजार उतना रौनक नहीं रहा। लेकिन इस साल किसी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं है। इसको लेकर बाजार में जबरदस्त उछाल दिख रहा है। व्यापारी और छोटे दुकानदारों को भी इस साल बाजार से बड़ी उम्मीदें है।
चाइनक स्प्रे व रसायनिक रंग नहीं
रंगोत्सव पर इस बार चाइना का रसायनिक रंग नहीं बल्कि देशी व हर्बल रंगों से होली का त्योहार मनेगा। हर साल बाजार में चाइना पिचकारी व रंग सहित स्प्रे आते थे, लेकिन इस बार मार्केट में चाइना स्प्रे और रंग गायब हो गए हैं। व्यापारियों ने वोकल फार लोकल की डिमांड की है।
कारोबारियों के मुताबिक बड़े व्यापारी ही रंग और पिचकारी बाजार में उतारते थे हैं। महिलाएं भी इस बार हर्बल रंग बना रही है। इसके अलावा विभिन्न् उच्च शिक्षण संस्थाओं से भी गुलाल आने लगा है। जिसमें प्रमुख रूप से गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविालय भी शामिल है।
वाइल्ड लाइफ वाले मुखौटे
बिलासपुर के बाजार में मुखौटा आ चुका है। लेकिन होली में डरावने मुखौटों की बिक्री प्रतिबंधित है। इस साल होली बाजार कई तरह के मुखौटों से सजा है। बधाों के लिए बिल्ली, चूहे व डाग सहित कार्टून के मुखौटे बने है। वाइल्ड लाइफ से जुड़े मुखौटे बच्चों खूब भा रहे हैं। नकली बाल व अन्य वैरायटी के मुखौटे भी है। रंग-बिरंगी चिकारी से लेकर बलून बच्चों को आकर्षित कर रहा है। गुलाल की बात की जाए तो सबसे अधिक कोटा, तखतपुर, मस्तुरी और बिल्हा विकास खंड के स्वं सहायता समूह द्वारा गुलाल का निर्माण किया जा रहा है। जिनकी आनलाइन डिमांड भी है।