खरीदना चाहते हैं गेड़ी तो चले आइए कोटा, वन चेतना केंद्र और कानन पेंडारी
मस्तूरी, मल्हार, सीपत के चौक- चौराहे में काउंटर लगाकर वन विभाग कर रहा ब्रिकी
By Manoj Kumar Tiwari
Edited By: Manoj Kumar Tiwari
Publish Date: Fri, 14 Jul 2023 10:33:43 AM (IST)
Updated Date: Fri, 14 Jul 2023 10:33:43 AM (IST)

बिलासपुर। इस बार हरेली पर्व पर गेड़ी का लुत्फ उठाना चाहते हैं तो परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप वन विभाग ने इस बार वनमंडल अंतर्गत प्रमुख जगहों पर इसकी बिक्री कर रहा है। गेड़ी का स्टाक वन चेतना केंद्र और कानन पेंडारी जू में पहुंचा है।
शुरुआत में केवल सी मार्ट में इसे उपलब्ध कराया गया था। लोगों की पूछपरख और परंपरा का निर्वहन कराने के लिए विभाग द्वारा 900 गेड़ी तैयार कराई गई है। हरेली पर्व पर गेड़ी चढ़ने की परंपरा है, जो इसमें पारंगत है वह त्योहार के दिन खासतौर पर गेड़ी चढ़कर खूब मजा लेते हैं। इसका अपना अलग उत्साह है।
लोगों के इसी उत्साह को बरकरार रखने और गेड़ी की अनुपलब्धता की समस्या को दूर करने के लिए पहली बार वन विभाग के द्वारा इसकी बिक्री की जा रही है। बिलासपुर के स्मार्ट रोड प्रवेश द्वार स्थित सी-मार्ट में तो सबसे पहले इसका स्टाक उपलब्ध कराया गया। जहां लगभग सभी गेड़ी बिक चुकी है। लोग दूर-दूर से गेड़ी खरीदने के लिए पहुंच रहे थे। खरीदी के दौरान उनके क्षेत्रों में उपलब्धता कराए जाने की मांग भी की गई।
जिसे देखते हुए वन विभाग ने बिलासपुर वनमंडल अंतर्गत सभी रेंज के कुछ प्रमुख जगहों पर गेड़ी की उपलब्धता कराई है। इसमें पेंड्रीडीह बाइपास पर स्थित वन चेतना केंद्र, कानन पेंडारी, कोटा, मस्तूरी, सीपत बिक्री की व्यवस्था की है। बाक्स परंपरा के साथ वर्षा ऋतु का करते हैं स्वागत हरेली तिहार के साथ गेड़ी चढ़ने की परंपरा अभिन्न रूप से जुड़ी हुई है। त्योहार के दिन ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग सभी परिवारों द्वारा गेड़ी का निर्माण किया जाता है।
परिवार के बच्चे और युवा गेड़ी का जमकर आनंद लेते हैं। गेड़ी चढ़कर ग्रामीण-जन और कृषक-समाज वर्षा ऋतु का स्वागत भी करते हैं। बाक्स- ऐसे करते हैं तैयार गेड़ियां बांस से बनाईं जाती है। दो बांस में बराबरी दूरी पर कील लगाई जाती है। एक और बांस के टुकड़ों को बीच से फाड़कर उसे दो भागों में बांटा जाता है।
उसे रस्सी से फिर से जोड़कर दो पउवा बनाया जाता है। यह पउवा असल में पैरदान होता है, जिसे लंबाई में पहले काटे गए दो बांसों में लगाई गई कीलों के ऊपर बांध दिया जाता है। बाक्स- चार साइज में है उपलब्ध वन विभाग ने गेड़ी का निर्माण स्थानीय ग्रामीणों से कराया है। निर्माण चार साइज में हुआ है। 120 रुपये की गेड़ी करीब छह फीट की है। वहीं बच्चों के लिए छोटी साइज की गेड़ी 60 रुपये में उपलब्ध है। इसके अलावा 80 रुपये व 100 रुपये में भी गेड़ी बिक रही है। लेकिन, इसका स्टाक कम है।