छत्तीसगढ़ी व्यंजन का स्वाद लेना है तो आइए गढ़कलेवा में
गढ़कलेवा से ना केवल छत्तीसगढ़ की संस्कृति से लोग परिचित हो रहे हैं। अपितु महिलाओं को रोजगार भी मिल रहा है। वहीं देश के अन्य हिस्सों से आने वालों को स्वादिष्ट छत्तीसगढ़ी व्यंजन का स्वाद चखने को मिल रहा है। छत्तीसगढ़ी व्यंजनों से सुसज्जित गढ़कलेवा में प्रवेश करते ही छत्तीसगढ़ की संस्कृति भी देखने को मिलती है।
Publish Date: Sat, 03 Aug 2024 12:28:56 PM (IST)
Updated Date: Sat, 03 Aug 2024 12:28:56 PM (IST)
गढ़कलेवा रायपुर फाइल फोटोHighLights
- चंद सालों में ही गढ़कलेवा ने व्यंजनों के मामले में बनाई अपनी एक विशेष छवि
- छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का स्वाद चखने के लिये लोगों की लंबी कतार
- स्वावलंबी बनने के साथ ही स्वरोजगार की दिशा में महिलाएं आगे बढ़ रही
नईदुनिया प्रतिनिधि, बिलासपुर। छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का स्वाद चखने और यहां के व्यंजनों को हर व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए गढ़कलेवा (रेस्टोरेंट) का संचालन किया जा रहा है। शहर में जिला पंचायत परिसर और शहीद हेमू कालोनी चौक के पास इसे संचालित किया जा रहा है। जहां सुबह से ही छत्तीसगढ़ी व्यंजनों की खुशबू महकने लगती है। महक आने के साथ लोग छत्तीसगढ़ी व्यंजन का स्वाद चखने के लिए गढ़कलेवा की ओर आकर्षित होने लगते है, चंद सालों में ही गढ़कलेवा ने व्यंजनों के मामले में अपनी एक विशेष छवि बना लिया है।
छत्तीसगढ़ के पारंपरिक व्यंजन
यहां छत्तीसगढ़ के पारंपरिक व्यंजन जैसे चीला, फरा, बफौरी, चौसेला, धुसका, उड़द बड़ा, मूंग बड़ा, माढ़ा पीठा, पान रोटी, गुलगुला, बबरा, पीड़िया, बीड़िया, अरसा, बबरा, खाजा, पूरन लड्डू, खुरमी, देहरौरी, करी लड्डू और पपची के साथ अन्य पारंपरिक भोजन का लुत्फ सहजता के साथ उठाया जा सकता है। छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का स्वाद चखने के लिये लोगों की लंबी कतार यहां देखी जा सकती है। गढ़कलेवा में प्रतिदिन लगने वाली लोगों की भीड़ इसके सफल संचालन को साबित करने के लिये पर्याप्त है। गढ़कलेवा का संचालन बिलासा महिला स्व-सहायता समूह द्वारा किया जा रहा है।
आत्मनिर्भरता का पेश कर रहीं उदाहरण
स्व सहायता समूह की महिलाओं ने गढ़कलेवा में अपने लिए रोजगार के साधन उपलब्ध कराने के साथ ही उन महिलाओं को भी रोजगार देने का काम रही हैं जो छत्तीसगढ़ी व्यंजन बनाती है। घरों में बैठकर ये महिलाएं गढ़कलेवा के लिए छत्तीसगढ़ी व्यंजन बनाकर आपूर्ति कर रही है और अच्छा खासा आय भी कमा रही है। स्वावलंबी बनने के साथ ही स्वरोजगार की दिशा में महिलाएं आगे बढ़ रही है। महिला स्वावलंबन का इससे अच्छा उदाहरण और कहीं देखने को नहीं मिलेगा।