बिलासपुर। Jagannath Rath Yatra 2021: मौसी के घर में आठ दिनों तक रहने के बाद भगवान जगन्नाथ देवशयनी एकादशी के दिन अपने बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ मंदिर लौटे। रेलवे परिक्षेत्र स्थित उड़िया स्कूल से मंगलवार को धूमधाम के साथ बहुड़ा रथ यात्रा निकाली गई। गुंडिचा यात्रा की तरह विधिवत परंपरा का पालन किया गया। बारिश के बीच भक्तों का उत्साह और बढ़ गया। श्रद्धालुओं ने रथ की डोर खींचकर अपनी आस्था जताई।
उड़िया स्कूल स्थित मौसी बाड़ी से शाम चार बजे बहुड़ा यात्रा निकली। बगल में श्रीश्री जगन्न्ाथ मंदिर परिसर में महाप्रभु का रथ नंदी घोष पहुंचा। मुख्य द्वार पर परंपरा अनुसार नाराज लक्ष्मीजी ने महाप्रभु को भीतर प्रवेश करने से रोका। नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि मौसी के घर मुझे क्यों लेकर नहीं गए। इस पंरपरा को मंदिर समिति के सदस्यों ने निभाया। महाप्रभु द्वारा लक्ष्मीजी को मिष्ठान्न्, आभूषण और वस्त्र भेंट कर मनाया गया। आखिर कर लक्ष्मी जी मान गईं। इसके बाद भक्तों में खुशी देखते ही बन रही थी।
जय जगन्नाथ का नारा गूंज उठा। मंदिर के पुजारी गोविंद पाढ़ी और समिति के समन्वयक केके बेहरा ने बताया कि ज्येष्ठ पूर्णिमा पर 108 कलश के जल से स्नान करने के बाद से महाप्रभु जगन्नाथ बीमार हो गए थे। स्वास्थ्य ठीक होने के बाद वे 11 जुलाई को गुंडिचा यात्रा (रथयात्रा) के माध्यम से मौसी के घर पहुंचे थे। आठ दिनों तक भाई व बहन के साथ रहने के बाद नवमें दिन बाहुड़ा यात्रा (रथयात्रा) के साथ वापसी हुई है। महाप्रभु के मंदिर में लौटने के बाद अब पुन: भक्त दर्शन लाभ ले सकेंगे।
सीएसटी ने निभाई छेरापहरा की रस्म
बहुड़ा यात्रा में छेरापहरा की परंपरा दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के सीएसटी (प्रोजेक्ट) बीबी दास ने सपत्नीक निभाई। इस दौरान महाप्रभु के पहुंचने के बाद मंदिर प्रांगण में जोरदार स्वागत हुआ। विशेष पूजा-अर्चना के साथ भक्तों को प्रसाद का वितरण किया गया। कोरोना के चलते इस बार रथयात्रा भी बहुत ही कम समय की रही। बहुड़ा यात्रा सांकेतिक थी। इस बीच समिति के सदस्यों के साथ आसपास से भक्त पहुंचे थे।