
नईदुनिया न्यूज, पेंड्रा। भागवत कथा किसी के द्वारा व्यक्तिगत रूप से आयोजित नहीं है यह कथा देश में माओवाद एवं आतंकवाद से मृत बलिदानियों की आत्मा की शांति के लिए की जा रही है। कथा को लेकर किसी के मन में भ्रम नहीं होना चाहिए नहीं तो पितरों को पाप पड़ेगा। उक्त बातें नर्मदा एवं एवं सोनानचल की पावन धरा पेंड्रा के हाईस्कूल मैदान में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित संत पद्म विभूषित जगतगुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य महाराज ने कही।
ज्ञान यज्ञ के पहले दिन उन्होंने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए श्रीमद् भागवत कथा का महत्व बताया। कथा के दौरान उन्होंने कहा कि कोई व्यक्ति कितना भी विद्वान हो जाए चरित्र के बगैर उसकी विद्वता बेकार है। उन्होंने कहा कि कथा का वचन संस्कृत तथा हिंदी में होगा ताकि कथा सभी को समझ में आए। उन्होंने कहा कि यदि भारतीय संस्कृति को बचाना है तो संस्कृत को बचाना होगा संस्कृत सीखना पड़ेगा।

संस्कृत को बचाने पर ही संस्कृति बचेगी। इस अवसर पर उन्होंने भारतेंदु हरिश्चंद्र का भी स्मरण किया। उन्होंने प्रसंगवश में हास-परिहास करते हुए पत्नी एवं वाइफ शब्द की व्याख्या करते हुए कहा कि पत्नी वह है जो अपने पति को पतन से बचावे वहीं वाइफ वह है विदाउट इनफारमेशन फाइट एनीटाइम।
नर्मदा एवं नर्मदा खंड को रेखांकित करते हुए कहा कि नर्मदा माता अनसुय्या जी की शिष्या है। पेंड्रा के लोग गौरवशाली हैं कि उन्हें नर्मदा खंड में जन्म लेने का सौभाग्य मिला है।
श्रीमद् भागवत कथा का महत्व बताते हुए उन्होंने भागवत कथा वाचन करने वाले के साथ विस्तार से वर्णन करते हुए कहा कि कथावाचक को विराट होना चाहिए, वैष्णव होना चाहिए। जन्म से ब्राह्मण होना चाहिए।
दृष्टांत कुशल होना चाहिए। इस अवसर पर जगतगुरु रामभद्राचार्य ने कहा कि उनके द्वारा संस्कृत एवं संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए चित्रकूट में जगतगुरु श्रीराम नंदाचार्य संस्कृत संस्कृति गुरुकुलम की स्थापनासभी के सहयोग से की जा रही है। कथा के दौरान उन्होंने धुंधली एवं धुंधकारी इत्यादि प्रसंग के बारे में बताया।