बिलासपुर। न्यायधानी से लगभग 30 किलोमीटर दूर रतनपुर में वृद्धेश्वरनाथ महादेव हैं। जिन्हें बूढ़ा महादेव के नाम से जाना जाता है। श्रावण मास में में भगवान भोलेनाथ को जल चढ़ाने बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं। यह सबसे अनोखा मंदिर हैं। विशेष बात यह भी है कि इस शिवलिंग पर चढ़ाया जल कहां जाता है इस रहस्य को अब तक कोई नहीं जान सका है। शिवमहापुराण में भगवान वृद्धेश्वरनाथ महादेव का वर्णन है। रतनपुर स्थित शिव मंदिर का उल्लेख शिवमहापुराण में है। कालजयी मंदिर के पुजारी और ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज तिवारी भगवान वृद्धेश्वरनाथ महादेव के भक्त भी है। उनका कहना है कि मां महामाया की नगरी रतनपुर जिसे प्राचीन काल में शिव मंदिरों की अधिकता की वजह से लहुरी काशी के नाम से भी जाना जाता था।
यहां पर रामटेकरी के ठीक नीचे स्थापित है वृद्धेश्वरनाथ महादेवा लोक मान्यता के अनुसार इसे बूढा महादेव भी कहते हैं। वृद्धेश्वरनाथ महादेव मंदिर में स्थापित शिवलिंग स्वंयभू है। मंदिर के गर्भगृह में स्थित भगवान शिवलिंग की आकृति विस्मयकारी है। पार्थिव शिवलिंग के तल में स्थित जल देखने पर ऐसा प्रतीत होता है जैसे आकाशगंगा इसमें समाहित है। विशेष बात यह भी है कि शिवलिंग में अर्पित जल ऊपर नहीं आता और शिवलिंग के भीतर के जल का तल एक सा बना रहता है। इस शिवलिंग पर चढायां जल कहां जाता है इस रहस्य को कोई नहीं जान सका है।
लोगों के बीच आस्था गहरी होने के कारण सावन मास के बाद महाशिवरात्रि में भगवान शिव के दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है। ३ वृद्धेश्वरनाथ मंदिर अति प्राचीन मंदिर है। 1050 ई में राजा रत्नदेव द्वारा इस मंदिर का र्जीणोद्धार किया गया था। इस मंदिर को लेकर अनेक किवदंतियां भी हैं। बता दें कि सावन के पूरे एक महीने तक दूर-दूर से भक्त यहां जल चढ़ाने आते हैं। इस क्षेत्र में कई शिवालय हैं।