बिलासपुर। शासकीय ई-राघवेंद्र राव पीजी विज्ञान महाविद्यालय (साइंस कालेज) को स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी महाविद्यालय बनाने के विरोध में बुधवार को भी छात्रों का चरणबद्ध आंदोलन जारी रहा। छात्रों ने मानव श्रृंखला बनाकर विरोध जताया। छात्रों ने इसे हिंदी माध्यम के विद्यार्थियों के लिए अन्याय बताया।
साइंस कालेज के छात्रों का चरणबद्ध आंदोलन एक सितंबर से लगातार जारी है। बुधवार दोपहर एक बजे के लगभग छात्रों ने रणनीति के तहत कालेज से बाहर आ गए। मेन रोड पर मानव श्रृंखला बनाकर अपनी नाराजगी जाहिर की। छात्रों के इस विरोध प्रदर्शन का अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने भी समर्थन किया। आंदोलन वापस लेने कॉलेज प्रशासन लगातार प्रयास में है लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिली है। दूसरी और छात्रों का विरोध लगातार बढ़ रहा है। मानव श्रृंखला के साथ छात्रों ने यह संदेश देने का प्रयास किया कि किसी तरह मुख्यमंत्री उनकी बातों को सुने और छात्र हित में न्याय करें।
ज्यादातर छात्रों का यह भी कहना था कि महाविद्यालय में हिंदी और अंग्रेजी माध्यम दोनों संचालित किए जाएं। कक्षा छात्र के बीच में शासन का निर्णय उचित नहीं है। प्रवेश की प्रक्रिया समाप्त हो चुकी है और छात्रों का अध्ययन भी शुरू हो चुका है ऐसे में एकाएक हिंदी माध्यम के छात्रों को दूसरे विद्यालय में धकेलना गलत है। यही कारण है कि छात्र लगातार इसका विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। बता दें कि एक दिन पहले छात्रों ने कक्षाओं का बहिष्कार कर जमकर हंगामा मचाया था।
प्राध्यापकों ने उन्हें कक्षा में पढ़ाई करने कहा लेकिन वे नहीं माने थे। विद्यार्थी कक्षा से निकलकर हंगामा करने लगे थे। सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। आत्मानंद महाविद्यालय नहीं चाहिए का नारा लगाते हुए सभी छात्र बाहर निकल गए थे। देखते ही देखते परिसर में माहौल गरमाने लगा था। प्राचार्य डा. एसआर कमलेश की सूचना के बाद तुरंत तहसीलदार श्वेता यादव और सरकंडा थाना प्रभारी उत्तम साहू दल-बल के साथ पहुंच गए थे। छात्रों को वापस कक्षा में जाने मान मनौव्वल किया, लेकिन छात्र नहीं माने। हस्ताक्षर अभियान के माध्यम से अपनी नाराजगी जाहिर किया था। तहसीलदार के काफी समझाने और आश्वासन के बाद माहौल शांत हुआ था।
छात्रों की प्रमुख मांगें
शासन के स्वामी आत्मानंद महाविद्यालय का निर्णय उचित है लेकिन नए महाविद्यालय खोलें। पुराने संस्थाओं से खिलवाड़ ना करें। प्रथम वर्ष के छात्र जो प्रवेश ले चुके हैं उन पर अंग्रेजी माध्यम से पढ़ने दबाव ना बनाएं। बल्कि विकल्प दें जिससे की आसानी हो। शासन को यदि इसी संस्थान में आत्मानंद चलाना है तो दो पालियों में कक्षाएं लगाएं। एक में हिंदी का विकल्प दिया जाए।