0 जैन समाज का आयोजन, पंथक मुनि महाराज ने रस परित्याग तप का बताया महत्व
बिलासपुर। नईदुनिया प्रतिनिधि
भोजन करने के बाद थाली धोकर पानी को पीता है तो उसे रस परित्याग नाम का तप करने का लाभ मिलता है। साथ ही ऐसे सूक्ष्म जीव को मारने का पाप भी नहीं होता और शरीर भी स्वस्थ रहता है। इसलिए यह आदत अपने जीवन में डालें तो सबका भला होगा।
ये बातें बुधवार को गुजराती जैन भवन टिकरापारा में पंथक मुनि महाराज ने प्रवचन में कहा। उन्होंने आगे कहा कि भोजन समाप्त होने के बाद थाली या जिस बर्तन में भोजन किया हो उसमें भोजन के कुछ कण रह जाते हैं। भले ही ये थोड़े समय के लिए ही क्यों न हो, उसमें अनगिनत बैक्टीरिया या सूक्ष्म जीवाणु पैदा हो जाते हैं। ये इतने छोटे होते हैं, जिन्हें भगवंत ही देख सकते हैं। वे भी पांच इंद्रियों वाले होते हैं, लेकिन मनुष्य के पास मन होता है और उनके पास नहीं होता। जब थाली का या बर्तन का जूठा धोते समय नाली में या गटर में जाता है तो वहां भी ऐसा ही जीवन मरण का चक्र चलता रहता है। इन बातों को ध्यान में रखकर जूठा बर्तन छोड़ना ही नहीं चाहिए। जैन समाज के अमरेश जैन ने बताया कि मुनिश्री की सुबह की गोचरी का लाभ लता किशोर देसाई परिवार और दोपहर को आहारचर्या का लाभ कुंदन कोठारी परिवार को मिला।प्रवचन के अंत में प्रभावना जैन मित्र मंडल बिलासपुर की ओर से दी गई। इस अवसर पर समाज के अध्यक्ष भगवानदास सुतारिया, वंशिका तेजाणी, उन्नति गांधी, मनीषा शाह, प्रवीण दामाणी, उषा शाह, सुधा गांधी, वंदना तेजाणी, रमिला पटेल समेत बड़ी संख्या समाज के लोग उपस्थित थे।