नईदुनिया न्यूज, रामानुजनगर। सूरजपुर जिले के तिवरागुड़ी गांव में मूंगफली खाने को लेकर हुए विवाद ने खौफनाक रूप ले लिया। बोलेरो सवारों ने मोटरसाइकिल से घर लौट रहे पिता और दो पुत्रों को कुचल दिया। हादसे में पिता और बड़े बेटे की मौत हो गई, जबकि छोटा बेटा गंभीर रूप से घायल है। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
खेत से थाने और फिर सड़क तक पहुंचा विवाद
जानकारी के अनुसार, तिवरागुड़ी निवासी त्रिवेणी रवि ने अपने खेत में मूंगफली की फसल बोई थी। सोमवार शाम को उसका छोटा बेटा करण रवि खेत की रखवाली कर रहा था। इसी दौरान रिश्तेदार नर्मदा सोनवानी और उसके बेटे बोलेरो से पहुंचे और करण पर मूंगफली उखाड़कर खाने का आरोप लगाया। विवाद बढ़ा तो करण की पिटाई की गई, मोबाइल तोड़ा गया और लोहे की रॉड से हमला भी किया गया।
बीच-बचाव के लिए पहुंचे पिता त्रिवेणी रवि और बड़े बेटे राजा बाबू के साथ भी मारपीट हुई। तीनों घायल हो गए और उन्होंने थाने जाकर शिकायत दर्ज करानी चाही। पुलिस दोनों पक्षों को थाने लाई, मगर कार्रवाई करने के बजाय समझाइश देकर छोड़ दिया। इस दौरान आरोपितों ने थाने में ही बोलेरो से कुचलने की धमकी दी थी।
पुलिस को फोन किया, पर मदद नहीं मिली
रात को त्रिवेणी रवि और उसके दोनों बेटे थाने से घर लौट रहे थे। नकना चौक के पास बोलेरो सवार आरोपित पहले से घात लगाए बैठे थे। उन्होंने बाइक पर सवार पिता-पुत्रों को रौंदने का प्रयास किया। पीड़ित पक्ष ने घटना से कुछ मिनट पहले ही पुलिस को फोन कर जान बचाने की गुहार लगाई थी, लेकिन कथित तौर पर पुलिसकर्मियों ने फोन काटते हुए कहा कि वे हर विवाद सुलझाने के लिए नहीं बैठे।
कुछ देर बाद बोलेरो ने पीछे से जोरदार टक्कर मार दी। हादसे में पिता त्रिवेणी रवि (41) और बड़े बेटे राजा बाबू (21) की मौत हो गई, जबकि छोटा बेटा करण गंभीर रूप से घायल है और सूरजपुर जिला अस्पताल में भर्ती है।
मौत के बाद हरकत में आई पुलिस
मृतकों के परिजनों और ग्रामीणों का आरोप है कि यदि पुलिस ने समय रहते कार्रवाई की होती, तो यह घटना रोकी जा सकती थी। स्थानीय लोगों का कहना है कि मृतक परिवार ने बार-बार मदद मांगी, लेकिन थाने ने मामले को हल्के में लिया। घटना का वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और आरोपितों की तलाश जारी है।
थाना प्रभारी राजेंद्र साहू का कहना है कि दोनों पक्ष एक ही परिवार से जुड़े हैं और थाने में समझौते की बात कही गई थी। इसके बाद ही उन्हें छोड़ा गया था। लेकिन घटना के बाद गंभीर अपराध दर्ज कर आरोपितों की खोजबीन की जा रही है।
सवालों के घेरे में पुलिस
यह पूरा घटनाक्रम पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है।थाने में मिली धमकी को नजरअंदाज क्यों किया गया? पीड़ित पक्ष के फोन कॉल को गंभीरता से क्यों नहीं लिया गया? समझौते की आड़ में आरोपितों को छोड़ने का निर्णय किस आधार पर लिया गया? ग्रामीणों का कहना है कि अगर पुलिस ने त्वरित कार्रवाई की होती, तो दो जानें नहीं जातीं।