बिलासपुर। Railway News: एलएचबी ट्रेनों के एक-एक पावर कार हटाकर उनकी जगह एक सामान्य कोच की सुविधा दी जा रही है। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ने इस ओर कदम बढ़ा दिया है। जोन की छह ट्रेनों में इसकी सुविधा शुरू हो चुकी है। यात्रियों को अब इससे सुविधा होगी। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे से चलने वाली छह ट्रेनों में लगे दो में से एक पावर कार को हटाकर व इसके स्थान पर एक सामान्य कोच लगाकर रेल यात्रियों के लिए अतिरिक्त सीटों की सुविधा दी जा रही है।
वर्तमान में जोन की अधिकांश ट्रेनें अत्याधुनिक हेड आन जेनरेशन (एचओजी) प्रौद्योगिकी के साथ हरित यानी 'ग्रीन' ट्रेन के रूप में परिचालित की जा रही हैं। अब इन ट्रेनों के कोच में बिजली की आपूर्ति के लिए जनरेटर कारों में महंगे डीजल ईंधन को जलाने के बजाय ओवर हेड उपकरण (ओएचई) के माध्यम से सीधे ग्रिड से बिजली लेकर कोच में बिजली के उपकरणों आदि के लिए बिजली की जरूरतों को पूरा कर रही है। यात्रियों को रेलवे की इस नई पहल से सफर अब आसान होगा।
क्या है एचओजी प्रणाली
एचओजी प्रणाली द्वारा इंजन से सीधे सभी कोच को विद्युत आपूर्ति की जाती है। एलएचबी आधारित ट्रेनों के कोचों के लिए विद्युत उत्पादन केे सबसे आम तरीके को एंड आन जेनरेशन (ईओजी) कहा जाता है। प्रत्येक एलएचबी गाड़ के कोचों को विद्युत आपूर्ति करने के लिए डीजल इंजन ले जाने वाली पावर कार के दो सेट होते थे जिसमें कोच में लाइट और एयर कंडीशनिंग के लिए बिजली की आपूर्ति ट्रेन के दोनों सिरों पर लगाए गए विद्युत कारों में उपलब्ध डीजल जेनरेटर सेट के माध्यम से की जाती है। वर्तमान में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की अधिकांश ट्रेनों में हेड आन जेनरेशन (एचओजी) प्रौद्योगिकी अपनाई जा रही है, जिससे ट्रेनों में आपातकालीन जरूरतों के लिए एक ही जनरेटर कार की आवश्यकता है।
एलएचबी ट्रेनों में दो पावर कार होते हैं, जिसमें से एक को हटाकर उनकी जगह सामान्य यात्री कोच लगाया जा रहा है। छह ट्रेनों में इसकी शुरुआत कर दी गई है। यात्री सुविधा के मद्देनजर रेलवे ने पहल की है।
संतोष कुमार
सीनियर पीआरओ, दपूमरे बिलासपुर