बिलासपुर।Bilaspur News: अंबिकापुर के प्रतापपुर रोड में जल संसाधन संभाग क्रमांक-एक द्वारा जलाशय योजना के अंतर्गत ग्राम पंचायत सकालो में बनाए गए जलाशय के डुबान क्षेत्र की जमीन को वर्षों पूर्व मुआवजा देकर कब्जामुक्त कराया गया था। लेकिन भूमि के राजस्व रिकार्ड में उल्लेखित कुछ कब्जा धारकों के नाम का विलोपन नहीं किया गया। इसका फायदा उठाकर उन्होंने जमीन की आनन-फानन में बिक्री कर दी।
डुबान क्षेत्र की इस जमीन पर लंबे समय से प्लाटिंग का कार्य किया जा रहा था, जिस पर सकालो ग्राम पंचायत के सरपंच व सचिव ने अवैध अतिक्रमण की सूचना जल संसाधन संभाग क्रमांक-एक के कार्यपालन अभियंता को 11 दिसंबर 2020 को दी थी। पंचायत के सरपंच पूनम सिंह टेकाम ने लिखित में जानकारी देते हुए बताया था कि ग्राम पंचायत सकालो में डबरी जलाशय 32 एकड़ में स्थित है, जो गांव के लोगों के निस्तार के उपयोग में काम आता है।
11 दिसंबर 2020 को सूचना मिलने पर जब वे पंचायत के सचिव व पंचों, ग्रामीणों के साथ इस स्थल पर पहुंचे तो वहां उषा देवी पत्नी कृष्ण कुमार अग्रवाल के द्वारा जलाशय की भूमि पर अतिक्रमण किया जा रहा था। जब उन्होंने उक्त भूमि को डबरी जलाशय का बताया और अतिक्रमण करने से मना किया तो उन्होंने पट्टे की जमीन होने का हवाला दिया। सरपंच के द्वारा जलाशय की भूमि को कब्जा मुक्त कराने का आग्रह किया गया था, लेकिन इसके लिए सही पहल नहीं हो पाई और उक्त जमीन को टुकड़ों में बांट निर्माण कार्य सामग्री गिराते देख पंचायत के लोगों ने आपत्ति की। बुधवार को मौके पर एकत्र होकर उन्होंने विरोध जताया।
पंचायत प्रतिनिधियों व ग्रामीणों का कहना था कि डुबान क्षेत्र को कब्जा मुक्त करने के लिए विभागीय प्रक्रिया के तहत मुआवजा भी दिया गया, लेकिन विभाग की त्रुटियों से रिकार्ड में सुधार नहीं हो पाया। पूर्व के कब्जाधारकों के नाम पर जमीन राजस्व रिकार्ड में इंद्राज है। एक दशक पूर्व से इस जलाशय क्षेत्र में प्लाटिंग करने से पानी का संग्रहन भी बंद हो गया।
तत्कालीन कलेक्टर रितु सेन के द्वारा इस स्थल का सीमांकन भी कराया गया था और सकालो जलाशय के लिए मनरेगा से एक करोड़ 33 लाख रुपये दिए गए थे। इधर 87 डिसमिल जमीन एक व्यक्ति ने खरीद लिया और उसे प्लाटिंग करके बिक्री करने की जानकारी मिलने पर गांव के सरपंच, उपसरपंच सहित अन्य लोग एकजुट हुए और डुबान क्षेत्र की जिस भूमि को कब्जा मुक्त कराया गया था, वहां पुनः निर्माण कार्य होते देख इसकी जानकारी जिम्मेदार अधिकारियों को दी। कहा गया है कि अगर इस स्थल को अतिक्रमण मुक्त नहीं कराया जाता है, तो गांव के लोग आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे।