बिलासपुर। नईदुनिया प्रतिनिधि
हाईकोर्ट ने माना है कि रेलवे एक्ट की धारा 143 (2) में तीन वर्ष से कम की सजा होने पर विवेचना अधिकारी को जमानत देने का अधिकार है। इसके साथ ही ई टिकट दलाली के आरोपी को जमानत पर छोड़ने का आदेश दिया है।
दुर्ग आरपीएफ ने 15 जून 2017 को स्मृति नगर भिलाई में आईआरसीटीसी के एजेंट व ई टिकट का काम करने वाले आदित्य सिंह के कार्यालय में छापा मारा। कार्रवाई में उसके पास से 23 ई टिकट व कुछ फर्जी आईडी जब्त किए गए। आरपीएफ ने आदित्य सिंह के खिलाफ रेलवे एक्ट की धारा 143 (2) के तहत अपराध पंजीबद्घ कर उसके कार्यालय से कम्प्यूटर, सीपीयू सहित अन्य सामान जब्त किया। आरोपी को न्यायालय में पेश कर जेल दाखिल किया गया। जेल में बंद आरोपी ने हाईकोर्ट में जमानत आवेदन प्रस्तुत किया। आवेदन में कहा गया कि आवेदक आईआरसीटीसी के लिए ई टिकट बुकिंग का कार्य करता है। उसने जो भी ई टिकट बुक किए सभी पैसा आईआरसीटीसी के खाते में जमा कराया। नगद लेनदेन नहीं होने से कहीं भी रेलवे को आर्थिक नुकसान नहीं हुआ। इसके अलावा उसके पास यात्री आकर अपने आईडी देकर ई टिकट लेते हैं, ऐसे में किसी भी आईडी के फर्जी होने की बात सिद्घ नहीं होती। रेलवे एक्ट की इस धारा में 3 वर्ष से कम की सजा के प्रावधान होने के कारण यह जमानती अपराध है। इसमें विवेचना अधिकारी को ही जमानत दिया जाना चाहिए। आरोपी के जमानत आवेदन पर जस्टिस गौतम भादुड़ी की कोर्ट में सुनवाई हुई। उन्होंने आरोपी के तर्क को स्वीकार करते हुए जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है।