बिलासपुर। संत नामदेव विश्व के महान संतों में से एक हुए वे पसिद्ध संत थे। उक्त उद्गार नामदेव समाज वरिष्ठ समाज सेवी अखिल भारतीय नामदेव क्षत्रिय महासंघ नई दिल्ली के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष ज्वाला प्रसाद नामदेव ने संत शिरोमणी नामदेव महाराज के निर्वाण दिवस पर आयोजित श्रीराम सहाय दर्जी मंदिर गोंड़पारा एवं संत नामदेव भवन नूतन चौक सरकंडा में स्थापित संत नामदेव एवं भगवान विट्ठल देवी रूक्मणी देवी की प्रतिमा में पूजा अर्चना के दौरान कही श्रीनामदेव ने संत नामदेव के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संत नामदेव भक्ति मार्ग के माध्यम से समाज एवं राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोने का काम किया।
वे बचपन से ही भगवान विट्ठल के भक्त थे। जब वे बचपन में उनके लिए भोज लेकर मंदिर जाते थे वे जिद करते थे। भगवान की प्रतिमा के सामने भगवान भोजन कर लीजिए अड़े रहे। अंत में उनकी जिद के आगे भगवान विट्ठल को साक्षात दर्शन देते हुए नामदेव के हाथों भोजन ग्रहण किया। लोगों को विश्वास नहीं हो रहा था।
तब घर परिवार एवं पड़ोस के लोग बालक नामदेव जब भोजन लेकर मंदिर गए लोगों ने चुपचाप खिड़की से झांककर देखा तो साक्षात भगवान विट्ठल नामदेव के साथ भोजन ग्रहण कर रहे हैं। लोगों को विश्वास हुआ भगवान एवं भक्त के रूप में अगर साक्षात को साकार संत नामदेव ने किया इसलिए हम सबको संत नामदेव जी के बताए रास्तों एवं मार्गों पर हमें चलना चाहिए।
इसी कड़ी में श्रीनामदेव समाज विकास परिषद छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ प्रांतीय उपाध्याय शिव कुमार वर्मा एवं शिव शंकर लाल वर्मा ने भी संत नामदेव के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि तीन जुलाई के दिन ही संत नामदेव जी पंडरपुर में भगवान विट्ठल मंदिर के सीढ़ी पर ही अपने परिवार के 13 सदस्यों के साथ समाधी ली थी, जिसे पैरी के नाम से जानते हैं। पूरे भारत में तीन जुलाई को संत नामदेव का निर्वाण दिवस समाधि् दिवस के रूप में मनाते हैं।
संत नामदेव जी ने जो संदेश समाज एवं राष्ट्र को भक्ति मार्ग को माध्यम से दिया एवं समाज को एक सूत्र में पिरोने का काम करते हुए यह बता दिया कि आस्था विश्वास एवं संकल्प अगर आपका मजबुत है तो हर कठिन से कठिन काम आसान हो जाता है इसलिए हम सबको संत नामदेव जी के बताए रास्ते एवं मार्ग को अपने जीवन में आत्मसात करना चाहिए।
इस मौके पर संत नामदेव भगवान विट्ठल एवं देवी रूक्मणी जी की पूजा—अर्चना आरती कर समाधी दिवस मनाया गया इस अवसर पर ज्वाला प्रसाद नामदेव, शिव कुमार वर्मा, शंकर प्रसाद वर्मा, शिव शंकर लाल वर्मा, एन.पी. नामदेव, कमल किशोर वर्मा, राजकुमार चौधरी, संतोष नामदेव, अनिल वर्मा, गणेश नामदेव, राजेश नामदेव, सुदामा नामदेव, अविनाश उरकुड़े, आलेख वर्मा, राजेश्वर नामदेव सहित बड़ी संख्या में नामदेव समाज के स्वजातीय बंधु शामिल हुए।