बिलासपुर। Save Srishti: 14 महीने की सृष्टि दुर्लभ बीमारी एसएमए टाइप वन (स्पाइनल मस्कुलर एट्राफी) नाम की दुर्लभ बीमारी से ग्रसित है। अपालो अस्पताल में बीते ढाई महीने से जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष कर रही है। सृष्टि के अंधेरे जीवन में उजास की आस अब माता-पिता व स्वजनों को दिखाई देने लगी है। बुधवार को राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा में शून्यकाल में राज्यसभा मंे यह मामला उठाया। राज्यसभा में उन्होंने चार महत्वपूर्ण सुझाव दिए व देशभर के इस रोग से पीड़ित 2500 के करीब बच्चों को जीवनदान की मांग की।
राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा ने राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान मामला उठाते हुए कहा कि स्पाइनल मस्कुलर एट्राफी रोग से पीड़ित बच्चों को बचाने के लिए इंजेक्शन पूरे विश्व मे सिर्फ स्विट्जरलैंड में ही बनती है। इसकी कीमत करीब 16 करोड़ स्र्पये है। टैक्स मिला दिया जाए तो 23 करोड़ स्र्पये का एक इंजेक्शन होता है।
अभी महाराष्ट्र की एक बेटी के माता-पिता के आह्वान पर प्रधानमंत्री ने सात करोड़ स्र्पये का टैक्स माफ किया है। उन्होंेने कहा कि यह समस्या का पूरी तरह से हल नहीं है। अभी एक बच्ची बिलासपुर के अपोलो अस्पताल में एक भिलाई में पीड़ित है। भिलाई की बच्ची के परिवार मुझसे जबलपुर आकर मिले थे। इसी तरह देश मे 2500 बच्चे इस गंभीर व जानलेवा बीमारी से पीड़ित हैं।
किसी भी परिवार के लिए 23 करोड़ स्र्पये के एक इंजेक्शन लगवा पाना संभव नहीं है। उन्होंने राज्यसभा के समक्ष चार सुझाव भी रखा। केंद्र अमेरिका से बात कर मूल्य कम करवाये, सरकार इस पर टैक्स माफ करे, राज्य और केंद्र सरकार अन्य मद से इस पर छूट दे ताकि बच्चों को बहुत ही कम कीमत पर या मुफ्त में ये इंजेक्शन लग सके। राज्यसभा सदस्य तन्खा ने मस्कुलर रोग से पीड़ित बिलासपुर के अपोलो अस्पताल में जीवन और मृत्यु के बीच संघषर््ा कर रही सृष्टि सहित देश के सभी पीड़ित बच्चों के लिए मुफ्त में इंजेक्शन दिलाने की मांग केंद्र सरकार से की है।
सबसे पहले नईदुनिया
नईदुनिया ने सृष्टि की बीमारी और अपोलो अस्पताल में इलाज को लेकर सबसे पहले समाचार का प्रकाशन किया था। नईदुनिया की खबर के बाद एसईसीएल के श्रमिक संगठनों ने इलाज के संबंध में प्रबंधन से चर्चा की थी। एसईसीएल प्रबंधन का कहना है कि नियमानुसार वे सृष्टि का इलाज देश के किसी भी ऐसे अस्पताल जो कोल इंडिया से संबद्ध है कराने के लिए तैयार है। इलाज का पूरा खर्च एसईसीएल उठाएगा। अभी भी बिलासपुर के अपोलो अस्पताल में सृष्टि के इलाज में हो रहे खर्च का वहन एसईसीएल द्वारा किया जा रहा है।
अपोलो में है भर्ती
14 महीने की सृष्टि कोजोल्जेंसमा इंजेक्शन की जरूरत है। सृष्टि के पिता सतीश कुमारमूलत: झारखंड के पलामू जिले के ग्राम कांके कला सिक्की के रहने वाले हैं। वे वर्तमान में कोरबा जिले के दीपका स्थित एसईसीएल में कार्यरत हैं। उन्होंने बताया किउनकी बेटी सृष्टि का जन्म 22 नवंबर 2019 को हुआ। चार-पांच महीने तक सब सामान्य रहा। इसके बाद अचानक सृष्टि के हाथ-पैर ने काम करना बंद कर दिया।
जांच के बाद डाक्टर ने बताया कि गर्दन सही तरीके से काम नहीं कर रहा है। जून 2020 में रायपुर में न्यूरोलाजिस्ट से जांच कराई। वहां भी समस्या का पता नहीं चला। 30 दिसंबर को सृष्टि की तबीयत बिगड़ गई। दूसरे दिन अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया। बच्ची को वेंटिलेटर में रखा गया। 23 जनवरी को वेल्लूर से मिली रिपोर्ट में सृष्टि के एसएमए टाइप वन से ग्रसित होने की पुष्टि हुई।